देहरादून:उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को लेकर सर्वे कराने का फैसला लिया तो यह मुद्दा उत्तर प्रदेश से बाहर निकल कर पूरे देश में राजनीतिक सुर्खियां लेता हुआ दिखाई दिया. अभी इस पर बहस चल ही रही थी कि उत्तराखंड सरकार ने भी प्रदेश में मदरसों के सर्वे का निर्णय ले लिया. लेकिन इस बीच सवाल यह उठा कि आखिरकार मदरसों पर भाजपा की सरकारें इतना ज्यादा फोकस क्यों कर रही है. तो इसका जवाब आंकड़ें हैं, जो उत्तराखंड से सामने आ रहे हैं और यह वाकई चौंकाने वाले भी हैं.
आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रदेश में मान्यता प्राप्त मदरसों से ज्यादा गैर मान्यता प्राप्त मदरसे (Madrassas Operating Without Recognition) मौजूद है. बड़ी बात यह है कि सरकार के पास इनका कोई रिकॉर्ड नहीं है. क्योंकि यह सरकारी सिस्टम के किसी भी कार्यालय में दर्ज ही नहीं है. खुद वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने इस बात की जानकारी देते हुए साफ किया है कि राज्य में तकरीबन 500 से ज्यादा ऐसे मदरसे हैं, जिन्होंने मदरसा बोर्ड की मान्यता ही नहीं ली है.
इससे पहले की आप प्रदेश में मदरसों के सर्वे की जरूरत को समझें. उन सरकारी आंकड़ों को भी देख लीजिए जो प्रदेश में सरकारी आंकड़ों में दर्ज दिए गए हैं और जिन्होंने मदरसा शिक्षा परिषद से मान्यता ली हुई है. यह तो वह आंकड़े हैं जो उत्तराखंड मदरसा शिक्षा परिषद के पास रिकॉर्ड में हैं. लेकिन जो मदरसे रिकॉर्ड में नहीं है और जिन्होंने यहां से मान्यता ही नहीं ली है. ऐसे 500 से ज्यादा मदरसे बताए जा रहे हैं.
हैरानी की बात है कि मान्यता प्राप्त मदरसों से ज्यादा गैर मान्यता प्राप्त मदरसे प्रदेश में संचालित हैं. गैर मान्यता प्राप्त मदरसों को लेकर परेशानी यह है कि इनका ना तो सरकार के पास कोई रिकॉर्ड होता है और ना ही इनके शैक्षणिक पैटर्न को लेकर सरकार का कोई आदेश इन पर चलता है.
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