देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने साल 2024 तक राज्य को टीबी मुक्त बनाए जाने का लक्ष्य रखा है. जिसके तहत स्वास्थ्य विभाग की ओर से लगातार टीबी मरीजों के लिए तमाम काम किया जा रहा है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से की जा रही पहल के बीच राज्य के हजारों लोग आगे आकर टीबी रोगियों का सहयोग कर सामुदायिक भूमिका निभा रहे हैं. स्वास्थ्य सचिव डॉ आर राजेश कुमार ने निक्षय मित्र की भूमिका निभाते हुए दूसरी बार टीबी मरीजों को गोद लिया है. सचिव स्वास्थ्य ने पहले जिन टीबी मरीजों को गोद लिया था वो मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं.
टीबी मुक्त उत्तराखंड के लिए 10 हजार से अधिक निक्षय मित्रों ने कराया रजिस्ट्रेशन, सहयोग को आए आगे
TB free Uttarakhand campaign उत्तराखंड को टीबी मुक्त बनाने के लिए जोरशोर से अभियान चल रहा है. इसमें निक्षय मित्र बढ़-चढ़कर भूमिका निभा रहे हैं. उत्तराखंड में अब तक 10 हजार से ज्यादा लोग निक्षय मित्र बनने के लिए रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं. निक्षय मित्र टीबी मरीज के लिए पोशाहार का इंतजाम करते हैं, जिससे वो जल्दी ठीक होते हैं. ऐसे में उम्मीद है कि इसी साल उत्तराखंड टीबी मुक्त हो जाएगा.
By ETV Bharat Uttarakhand Team
Published : Jan 11, 2024, 12:48 PM IST
दरअसल, प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत प्रदेश में अभी तक 10,014 लोगों ने निक्षय मित्र बनने के लिए अपना पंजीकरण कराया है. प्रदेश को साल 2024 तक टीबी मुक्त करने के लक्ष्य को लेकर राज्य सरकार की ओर से प्रदेश के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान चलाया जा रहा है. जिसमें निक्षय मित्र, चिन्हित टीबी मरीजों को गोद लेकर टीबी मुक्त अभियान में अहम भूमिका निभा रहे हैं. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, हरिद्वार जिले में सबसे अधिक 2205 निक्षय मित्र पंजीकृत हुए हैं.
इसके साथ ही ऊधमसिंह नगर में 2136, नैनीताल 1309, देहरादून 1709, अल्मोड़ा 593, पौड़ी गढ़वाल 468, टिहरी 392, पिथौरागढ़ 255, रुद्रप्रयाग में 208, चमोली में 206, उत्तरकाशी में 192, चम्पावत में 187 और बागेश्वर जिले में 154 निक्षय मित्रों का पंजीकरण किया गया है. प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत स्वास्थ्य सचिव आर राजेश कुमार ने जिला क्षय रोग कार्यालय, देहरादून में निक्षय मित्र बनकर क्षय रोगी को मासिक पोशाहार दिया. साथ ही लोगों से अपील की कि समाज के सभी वर्ग आगे आकर कार्यक्रम की सफलता में सहयोग करें.
ये भी पढ़ें: उत्तराखंड के 800 से अधिक गांव हुए टीबी मुक्त, 600 गांव बने आयुष्मान गांव