वाराणसी: पूरा देश इस समय गणेश उत्सव की तैयारियों में लीन है. वैसे तो गणेश चतुर्थी के दिन पूजा पंडालों से लेकर सार्वजनिक पूजा स्थलों तक लोग बाजे-गाजे के साथ बप्पा का स्वागत कर उनकी स्थापना करते हैं, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण होता है सही वक्त और सही मुहूर्त में विघ्नहर्ता गणेश को घर लाना और उनका स्वागत करना.
गणेश चतुर्थी पर गणपति की पूजा-विधि. दो सितंबर को गणेश चतुर्थी के साथ ही 10 दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत हो जाएगी. कोई तीन दिन, कोई सात दिन तो कोई 10 दिनों तक गणेश पूजन कर बप्पा की आवभगत करता है. इन सब के बीच दो सितंबर को देशभर में पूजा पंडालों से लेकर लोगों के घरों तक गणेश प्रतिमाएं पहुंचेंगी और लोग स्थापना कर बप्पा का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे.
गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त
चतुर्दशी के मौके पर जिस वक्त चंद्रोदय हो वह मुहूर्त सबसे उत्तम मुहूर्त माना जाता है. इस दिन ही गणेश चतुर्थी मान्य होती है, क्योंकि दो सितंबर को चतुर्थी है और शाम चंद्रोदय के साथ ही यह पर्व धूमधाम के साथ मनाया जाएगा. गणेश पूजन, गणेश स्थापना और बप्पा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यह उत्तम वक्त होगा.
मुख्य बिंदु
- 2 सितंबर को गणेश चतुर्थी के साथ 10 दिवसीय गणेश उत्सव की शुरुआत होगी.
- प्रथम पूजनीय भगवान गणेश के पूजन का अलग-अलग विधान होता है.
- चतुर्दशी के मौके पर चंद्रोदय का वक्त सबसे उत्तम मुहूर्त माना जाता है.
- गणेश पूजन और गणेश स्थापना के लिए यह उत्तम वक्त होगा.
- चंद्रोदय के साथ ही गणेश उत्सव धूमधाम के साथ मनाया जाएगा.
गणेश पूजन की विधियां
वैसे तो प्रथम पूजनीय भगवान गणेश के पूजन का अलग-अलग विधान होता है. पश्चिम से लेकर उत्तर पूरब से लेकर दक्षिण तक अलग-अलग तरीके से गणेश जी की पूजा अर्चना की जाती है, लेकिन शास्त्र सम्मत चार विधियां हैं, जिनके पालन के साथ यदि गणेश वंदना स्थापना व आराधना की जाए तो उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.
मुख्य बिंदु-
- प्रथम पूजनीय भगवान गणेश के पूजन का अलग-अलग विधान है.
- पश्चिम और उत्तर पूरब से लेकर दक्षिण तक गणेश पूजन का अलग-अलग विधान है.
- शास्त्र सम्मत में गणेश पूजन की चार विधियां हैं.
- गणेश वंदना, स्थापना और आराधना की जाए तो विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.
इन विधियों से करें आराधना
गणेश आराधना और स्थापना के लिए षोडशोपचार, पंचोपचार, मनसोपचार और राजोपचार विधि से भगवान गणेश की आराधना की जा सकती है. राजोपचार विधि में राजशाही तरीके से भगवान गणेश की पूजन अर्चन की विधि संपन्न होती है, जिसमें 56 तरीके के भोग वस्त्र इत्यादि के साथ महाआरती और अन्य चीज संपन्न कराए जाते हैं.
मुख्य बिंदु-
- षोडशोपचार, पंचोपचार, मनसोपचार और राजोपचार विधि से आराधना की जा सकती है
- षोडशोपचार विधि में 16 तरीके की पूजन-पाठ सामग्रियों को इकट्ठा कर भगवान गणेश की पूजा होती है
- पंचोपचार विधि में धूप, दीप, नैवेद्य, गंध, पुष्प इत्यादि से भगवान गणेश का आह्वान करते हुए पूजन होता है
- राजोपचार विधि में राजशाही तरीके से भगवान गणेश के पूजन-अर्चन की विधि संपन्न होती है
- यदि आप कहीं बाहर हैं तो मनसोपचार विधि से गणेश जी की आराधना कर सकते हैं
षोडशोपचार विधि में 16 तरीके के पूजन पाठ सामग्रियों को इकट्ठा कर भगवान गणेश की पूजा संपन्न होती है. पंचोपचार विधि में धूप, दीप, नैवेद्य, गंध अक्षत पुष्प इत्यादि से भगवान गणेश का आह्वान करते हुए उनका पूजन संपन्न होता है. मनसोपचार विधि से यदि आप कहीं बाहर हैं या दूर हैं तो गणेश जी की आराधना कर उनको आवाहन करते हुए पूजन संपन्न किया जा सकता है. गणेश जी का आशीर्वाद लेने कि इन चारों में से कोई विधि अपनाकर बप्पा को प्रसन्न किया जा सकता है.