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उत्तराखंडः मॉनसून ने किया 'मायूस', सामान्य से -19 फीसदी कम हुई बारिश

उत्तराखंड से मॉनसून विदाई ले रहा है. इस बार मॉनसून में सामान्य से कम बारिश हुई है. उत्तराखंड में इस सीजन में 931 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है.

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Published : Sep 28, 2020, 7:15 PM IST

Updated : Sep 28, 2020, 8:36 PM IST

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उत्तराखंड मॉनसून

देहरादूनःदेश के उत्तर-पश्चिमी राज्यों से मॉनसून विदाई ले रहा है. मौसम विभाग की मानें तो राजस्थान और पंजाब से आज से मॉनसून की विदाई शुरू हो चुकी है. वहीं, उत्तराखंड की बात करें तो इसी हफ्ते के अंत तक मॉनसून पूरी तरह विदा ले सकता है. इस बार मॉनसून सीजन में प्रदेश में 931 एमएम बारिश दर्ज की गई है. जो कि सामान्य से -19 प्रतिशत कम है.

मॉनसून ने किया 'मायूस'.

मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के मौसम वैज्ञानिक रोहित थपलियाल के मुताबिक प्रदेश में अगले एक हफ्ते तक मौसम शुष्क बना रहेगा. जबकि, इसी हफ्ते के अंत तक प्रदेश से मॉनसून भी पूरी तरह से विदा हो जाएगा. इस साल जून माह के अंतिम हफ्ते में मॉनसून की दस्तक के बाद से लेकर अब तक प्रदेश में सबसे ज्यादा बारिश बागेश्वर जिले में दर्ज की गई है.

बागेश्वर जिले में अब तक 1960.6 मिलीमीटर बारिश हो चुकी है, जो सामान्य से 140% ज्यादा है. वहीं, बात प्रदेश के अन्य जिलों की करें तो इस बार मॉनसून सीजन में पिथौरागढ़, चमोली, देहरादून में भी अच्छी बारिश दर्ज की गई है.

उत्तराखंड में इस मॉनसून सीजन में हुई बारिश.

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प्रदेश में मॉनसून की विदाई का समय नजदीक आते ही मौसम में बदलाव भी देखने को मिल रहा है. जहां चमोली और पिथौरागढ़ जिलों के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हल्की बर्फबारी का दौर शुरू हो चुका है तो वहीं दूसरी ओर मैदानी जिलों में भी अब लोग सुबह और शाम ठंडी हवाओं को महसूस कर रहे हैं.

कुमाऊं के तराई में कम हुई बारिश.

कुमाऊं के तराई के क्षेत्रों में सामान्य से कम हुई बारिश, वैज्ञानिकों की बढ़ी चिंताएं

उधम सिंह नगर समेत तराई के क्षेत्रों में इस मॉनसून सीजन में सामान्य से भी कम बारिश मापी गई है. जुलाई अगस्त और सितंबर में कई फीसदी बारिश कम हुई है. जिससे भविष्य में किसानों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. पंतनगर मौसम वैज्ञानिकों ने बारिश के कम होने पर चिंता भी जताई है.

वहीं, मौसम वैज्ञानिक डॉ. राजकुमार सिंह ने बताया कि इस साल मॉनसून तराई के क्षेत्रों में फिसड्डी साबित हुआ है. हालांकि, किसानों के पास नलकूप होने के चलते सिंचाई में किसी भी तरह की दिक्कत नहीं आई, लेकिन बारिश कम होने के कारण भविष्य में वाटर लेवल कम होने की समस्याओं से किसानों को जूझना पड़ सकता है.

Last Updated : Sep 28, 2020, 8:36 PM IST

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