देहरादून: विधानसभा बजट सत्र के चौथे दिन प्रश्नकालमें विपक्षी विधायकों के साथ ही सत्ता पक्ष के विधायकों ने शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े तमाम सवाल लगाए. जिसका जवाब शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ धन सिंह रावत देते नजर आए. इसी बीच विधायक प्रीतम सिंह पवार ने चंपावत के प्राथमिक एवं जूनियर शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना में शामिल किए जाने को लेकर सवाल उठाया. जिसके जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा चंपावत जिले के राजकीय प्राथमिक एंव उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत जिन शिक्षकों ने 1 अक्टूबर 2005 से पहले ही कार्यभार ग्रहण किया है. इसलिए उनको पुरानी पेंशन योजना के तहत शामिल किया गया है.
1424 शिक्षक पुरानी पेंशन के लाभ से वंचित, विधायकों के सवाल पर शिक्षा मंत्री ने दिए जांच के आदेश
गैरसैंण विधानसभा सत्र के दौरान प्रश्नकाल में सत्ता और विपक्षी दल के विधायकों ने शिक्षकों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं मिलने को लेकर सवाल उठाया. जिसके जवाब में धन सिंह रावत ने कहा 1 अक्टूबर 2005 के बाद बहाल शिक्षकों को नई पेंशन योजना का लाभ दिया जा रहा है. वहीं, 1,424 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सितंबर 2005 में मिलने के बावजूद पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं मिलने पर जांच के आदेश दिए.
वहीं, सदन के भीतर सप्लीमेंट्री सवालों पर कई विधायकों ने भी सवाल उठाए. जिसमें मुख्य रूप से सवाल पूछा गया कि प्रदेश में करीब 1424 शिक्षक ऐसे हैं, जिनको नियुक्ति पत्र 30 सितंबर 2005 से पहले मिल गया था, लेकिन उनको नियुक्ति 1 अक्टूबर 2005 के बाद दिया गया. जिसके चलते प्रदेश के 1,424 शिक्षकों को पुरानी पेंशन का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इसके जवाब में शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा जो प्रावधान किया गया है उसके तहत 1 अक्टूबर 2005 के बाद से कार्यभार संभालने वाले शिक्षकों को नई पेंशन योजना से आच्छादित किया गया है.
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शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने भी इस बात को माना कि करीब 1,424 शिक्षक ऐसे हैं, जिनको 30 सितंबर 2005 से पहले नियुक्ति पत्र दे दिया गया था. लिहाजा वह लोग कोर्ट की शरण में भी गए थे. हालांकि, इस पूरे मामले को लेकर शासन स्तर पर बातचीत भी की गई. सदन के भीतर बढ़ते मामले को देखते हुए शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने वित्त विभाग को सदन के भीतर ही यह निर्देश दिए हैं कि अगले 2 महीने के भीतर इसका पूरा रिकॉर्ड व्यवस्थित किया जाए कि कौन-कौन से शिक्षक किस-किस जिले से हैं. साथ ही उनकी पूरी जांच की जाए कि उनको क्या वास्तव में 30 सितंबर 2005 से पहले नियुक्ति पत्र दे दिया गया था या नहीं?