देहरादूनः उत्तराखंड में चर्चा का विषय बनी 'हिलटॉप' शराब पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. पूर्व सीएम भुवन चंद्र खंडूड़ी के बाद अब उनकी बेटी ऋतु खंडूड़ी ने भी शराब फैक्ट्री का विरोध किया है. ऋतु का कहना है कि सरकार की रेवेन्यू को लेकर मजबूरी हो सकती है, लेकिन एक महिला होने के नाते वो इसका कभी समर्थन नहीं करेंगी.
हिलटॉप पर प्रतिक्रिया देतीं यमकेश्वर बीजेपी विधायक ऋतु खंडूड़ी. बता दें कि देवप्रयाग विधानसभा में हिलटॉप शराब की फैक्ट्री को लेकर सूबे में बहस छिड़ी हुई है. एक ओर बीजेपी इसे प्रदेश की आर्थिकी के लिए फायदेमंद बता रही है, तो दूसरी ओर प्रदेश की जनता इसे देवभूमि की संस्कृति के खिलाफ बताकर सरकार के सामने मुश्किलें खड़ी कर रही है. इससे पहले भी मामले को लेकर पूर्व सीएम और बीजेपी के वरिष्ठ नेता भुवन चंद खंडूड़ी ने भी टिहरी जनपद में शराब बाटलिंग प्लांट पर विरोध जताया था. इस बयान के बाद सरकार की परेशानी बढ़ गई थी.
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वहीं, बीसी खंडूड़ी की बेटी और यमकेश्वर विधानसभा से बीजेपी विधायक ऋतु खंडूड़ी ने भी पहाड़ों पर शराब को बढ़ावा देने वाले इस कदम का विरोध किया है. विधायक ऋतु का कहना है कि वो सरकार की विधायक बाद में है, पहले एक महिला हैं. हमेशा महिलाओं ने शराब और नशे के खिलाफ लड़ाई लड़ी है, ऐसे में एक महिला होने के नाते वो हिलटॉप शराब का सर्मथन कैसे कर सकती हैं. ऋतु खंडूड़ी का कहना है कि सरकार की रेवन्यू को लेकर मजबूरी हो सकती है, लेकिन वो किसी भी तरह से इस फैसले के समर्थन में नहीं है.
क्या है विवाद?
इनदिनों उत्तराखंड की सियासत में हिलटॉप की बड़ी चर्चा है. दरअसल, हिलटॉप एक शराब ब्रांड का नाम है जिसका बॉटलिंग प्लांट देवप्रयाग के नजदीक बन रहा है. इस प्लांट पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत आमने-सामने हैं. हिलटॉप मामले के उछलने के बाद पूर्व सीएम हरीश रावत इस प्रकरण के केंद्र में आ गए हैं. दरअसल, उनकी सरकार ने ही देवप्रयाग क्षेत्र के ग्राम डाडवा में बाटलिंग प्लांट की स्थापना के लिए एफएलएम-2 की अनुमति दी थी. हालांकि, हरीश रावत का कहना है कि उनकी सरकार ने फ्रूट वाइन के लिए लाइसेंस मंजूर किया था, जिसे मौजूदा सरकार ने बदल दिया है.
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि उन्होंने उत्तराखंडी फलों, सब्जियों आदि की खपत को बढ़ाने के लिए आबकारी नीति में परिवर्तन किया था. तब लोगों ने एक शराब का नाम लेकर आसमान सिर पर उठा लिया था. उसमें 10 प्रतिशत फलों का रस ब्लेंड होता था, स्वाद उसका कुछ बदला-बदला सा था. फिर कुमाऊं व गढ़वाल में वाइनरी प्लांट लगाने को लाइसेंस दिए, तो लोग सड़कों पर उतर आए. वहीं, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि देवप्रयाग में शराब फैक्ट्री का कोई लाइसेंस नहीं दिया गया है. यह गलत प्रचारित किया जा रहा है. उन्होंने साफ किया कि यह स्थान देवप्रयाग से 40 किमी दूर और राष्ट्रीय राजमार्ग से 10 किमी अंदर है.
उधर, शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती और अंतरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया भी पहाड़ में शराब फैक्ट्री खोले जाने का विरोध कर चुके हैं. इसके बाद पूर्व सीेम खंडूड़ी ने भी इस फैक्ट्री का विरोध किया है.