देहरादूनःउत्तराखंड कोविड-19 की दूसरी लहर के बुरे दौर से गुजर रहा है. विशेषज्ञों द्वारा कोविड-19 की तीसरी लहर को लेकर भी लगातार अंदेशा जताया जा रहा है, जोकि सबसे ज्यादा छोटे बच्चों के लिए घातक रहने वाली है. उत्तराखंड की अगर बात करें तो उत्तराखंड में चाइल्ड केयर को लेकर अग्रिम भूमिका निभाने वाले देहरादून के वैश्य नर्सिंग होम के डायरेक्टर डॉ. विपिन का कहना है कि जागरूकता ही कोरोना की तीसरी लहर से बचा सकती है.
15 दिन में 30 बच्चे पॉजिटिव.
ईटीवी भारत से खास बातचीत में नर्सिंग होम के डायरेक्टर डॉ. विपिन वैश्य ने बताया कि अचानक से पिछले दो हफ्तों में उनके अस्पताल में बच्चों में कुछ अलग तरह के बीमारी के लक्षण देखने को मिल रहे हैं. इनमें से तकरीबन 30 बच्चे ऐसे हैं, जो कि सीधे तौर से कोविड-19 के हैं. उन बच्चों के घर में कोविड-19 के केस हो चुके हैं, जिसके कारण बच्चों में बीमारी के कुछ अलग तरह के लक्षण देखने को मिल रहे हैं. इस तरह के मामलों को लेकर हमें अभी से जागरूक होना होगा और हमें अपने आसपास मौजूद सभी बच्चों की विशेष निगरानी की जरूरत है. खासतौर से वो बच्चे जो कि हाल ही में कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं.
बच्चों का दुश्मन MIS-c
डॉ. विपिन वैश्य ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में उनके अस्पताल में कई बच्चे MIS-c यानी मल्टी सिस्टम इनफॉर्मेटरी सिंड्रोम इन चाइल्डहुड के मामले देखने को मिल रहे हैं. उन्होंने बताया कि यह बीमारी अब तक इटली, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में देखने को मिल रही थी, लेकिन अब यह भारत में और पिछले कुछ दिनों में देहरादून में भी इस तरह के मामले देखने को मिले हैं. यह एक पोस्ट कोविड-19 सिंड्रोम की तरह है. जहां पर कोविड-19 से ठीक हो जाने के तकरीबन 1 महीने बाद खास तौर से बच्चों में यह बीमारी देखने को मिलती है. जहां पर बच्चे में तेज बुखार, चिड़चिड़ापन, उल्टी दस्त इत्यादि लक्षण देखने को मिलते हैं.