जोशीमठ आपदा में अकेले जूझ रहे सीएम धामी देहरादून: उत्तराखंड के जोशीमठ में लोगों की परेशानी दरारें बढ़ा रही हैं. लोग घरों को खाली कर राहत शिविरों में रात गुजारने को मजबूर हैं. वहीं सरकार में कुछ मंत्रियों को छोड़ दिया जाए तो अन्य ग्राउंट जीरो तक जाने की जहमत भी नहीं उठा रहे हैं, जो कई सवाल खड़े कर रहा है. वहीं बेघर लोगों के आंखों में अपने आशियाने छोड़ने का दर्द साफ देखा जा सकता है. लोग अपनों के बीच ही अपना सुख-दुख बांटते दिखाई दे रहे हैं.
जोशीमठ में लगातार बढ़ रही दरारें:जोशीमठ आपदा को लेकर आज देश भर से प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है, लेकिन उत्तराखंड के मंत्रियों को जोशीमठ से ऐसा परहेज है कि एक लंबा वक्त बीतने के बाद भी अब तक सरकार के तमाम मंत्री जोशीमठ जाने तक की हिम्मत नहीं जुटा पाए हैं. हैरानी की बात यह है कि अपने ट्विटर पर नेताओं को जन्मदिन की बधाई देने और स्वागत समारोह को ट्वीट करने वाले मंत्री जोशीमठ पर सरकार की पीठ तो थपथपा रहे हैं, लेकिन वहां के हालातों पर खुद चिंता जताने वाली दो लाइन तक गंभीरता से नहीं लिख पा रहे.
जोशीमठ में भू-धंसाव राज्य सरकार की नजर में बड़ी प्राकृतिक आपदा तो है, लेकिन सरकार के मंत्रियों के लिए शायद कुछ खास गंभीर मुद्दा नहीं. शहर में अब तक करीब 849 भवन प्रभावित हो चुके हैं और दरारों के चलते 165 भवनों को असुरक्षित भी मान लिया गया है. उधर हर दिन दरार आने वाले घरों की संख्या लगातार बढ़ भी रही है.
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मंत्रियों की दूरी पर कांग्रेस उठा रही सवाल: कुल मिलाकर एक शहर को बचाने के लिए उत्तराखंड से लेकर दिल्ली तक के वैज्ञानिक जोशीमठ में डेरा डाले हुए हैं. लेकिन उत्तराखंड के मंत्रियों के पास इतना भी समय नहीं है कि वह जोशीमठ के हालातों को जानने के लिए अपने कुछ घंटे इस शहर को दे पाएं. अकेले मुख्यमंत्री धामी जोशीमठ में स्थितियों का जायजा लेने के साथ हालातों को सुधारने के लिए मशक्कत करते नजर आ रहे हैं. हालांकि प्रभारी मंत्री धन सिंह रावत भी जोशीमठ में पहुंचकर स्थितियों का निरीक्षण कर चुके हैं, लेकिन जोशीमठ शहर में आपदा को लेकर हो हल्ला होने के बाद ही धन सिंह रावत जोशीमठ पहुंचे. बहरहाल, जोशीमठ को लेकर धामी सरकार के मंत्रियों की दूरी पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं और सरकार की कार्यप्रणाली को भी आड़े हाथ लिया है.
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कांग्रेस पर लगा रहे राजनीति करने का आरोप:फिलहाल उत्तराखंड सरकार में मुख्यमंत्री को मिलकर 9 लोगों का मंत्रिमंडल है. इसमें आठ मंत्रियों में से धन सिंह रावत ही जोशीमठ आपदा के हालातों के लिए स्थलीय निरीक्षण करते नजर आये हैं. हालांकि उन्हें भी काफी देरी से जोशीमठ की याद आयी. लेकिन आखिरकार उन्होंने जोशीमठ जाकर स्थितियों को देखा और लोगों से बात भी की. कुल मिलाकर जोशीमठ आपदा को लेकर मुख्यमंत्री पहले दिन से अकेले स्थितियों को संभालते हुए नजर आए हैं.
हालत यह है कि 7 मंत्रियों ने इतने बड़े संकट के समय भी जोशीमठ जाने तक की हिम्मत नहीं जुटाई. वहीं सतपाल महाराज और सौरभ बहुगुणा को छोड़ दिया जाए तो बाकी मंत्रियों ने टि्वटर हैंडल पर नेताओं के जन्मदिन से लेकर तमाम दूसरे समारोह पर तो ट्वीट किए, लेकिन खुद से जोशीमठ के लोगों को सांत्वना या स्थितियों पर चिंता जताने तक की भी फुरसत नहीं दिखाई. शायद इसी स्थिति को देखते हुए कांग्रेस ने धामी सरकार के मंत्रियों पर निशाना साधा है. हालांकि भाजपा अपनी सरकार के मंत्रियों का बचाव करने के लिए सामने आई है और मंत्रियों के जोशीमठ नहीं पहुंचने का जवाब देने के बजाय कांग्रेस के आरोपों पर बोलते हुए कांग्रेस पर जोशीमठ को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया है.