देहरादून: उत्तराखंड में वन विभाग के चार बड़े अधिकारियों पर कॉर्बेट नेशनल पार्क में हो रहे कार्यों को लेकर अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाने के कारण कार्रवाई (Action on officers in Uttarakhand Forest Department) की गई है. वन मंत्री हरक सिंह रावत ने ईटीवी भारत से बात करते हुए इस मामले पर अपनी बात रखी और जिम्मेदारी नहीं निभाने वाले अधिकारियों को हटाने का दावा भी किया.
कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में एनटीसीए की रिपोर्ट के बावजूद भी वन मंत्री हरक सिंह रावत ने एक बार फिर कोई भी गलत काम नहीं होने का दावा किया है. हरक सिंह रावत ने कहा कि टाइगर रिजर्व पार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों और घोषणा को पूरा करने के लिए ही काम किया गया, लेकिन वन विभाग के कुछ बड़े अधिकारी ऐसे थे, जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी की घोषणा को पूरा करने में लापरवाही की और उस में देरी की.
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हरक सिंह रावत ने कहा कि इन अधिकारियों की इसी लापरवाही और देरी के कारण इन्हें इनकी जिम्मेदारी से हटाया गया है. हरक ने साफ शब्दों में कहा कि प्रमुख वन संरक्षक और वन विभाग के मुखिया राजीव भरतरी से लेकर अनूप मलिक और चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन जेएस सुहाग के साथ किशनचंद को अपनी जिम्मेदारी सही से नहीं निभाने के लिए हटाया गया है.
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हरक सिंह रावत ने कहा कि यदि यह बड़े अधिकारी अपने काम को समय से और सही से करते तो किसी भी एनजीओ और दूसरे व्यक्ति को इस मामले में उंगली उठाने का मौका नहीं मिलता, लेकिन क्योंकि इन अधिकारियों ने अपनी जिम्मेदारी को ठीक से नहीं निभाया, इसीलिए बाकी लोगों को भी कॉर्बेट में उंगली उठाने का मौका मिला और बदनाम करने की कोशिश की गई. हरक सिंह रावत ने कहा कि कुछ एनजीओ लगातार प्रदेश के विकास को रोकने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे प्रदेश का वाइल्डलाइफ टूरिज्म प्रभावित हो रहा है.