देहरादून:उत्तराखंड कर्मकार कल्याण बोर्ड में कथित घोटाले के लेकर राजनैतिक पार्टियों में खूब बयानबाजी चल रही है. यहां तक की मजदूरों का पैसा मारने और उसके दुरुपयोग करने तक की भी बात कही जा रही है, लेकिन अब एक नया मामला मजदूरों के ही करीब 100 करोड़ रुपए दबाए रखने से जुड़ा आया है. श्रम विभाग को सेस के तहत मिलने वाले एक बड़े बजट को वित्त विभाग ने दबाकर रखा हुआ है. जिसको लेकर विभागीय मंत्री का भी दर्द कैमरे के सामने आया है.
उत्तराखंड में श्रम मंत्री हरक सिंह रावत इन दिनों कर्मकार कल्याण बोर्ड के कथित घोटाले को लेकर घेराबंदी में फंसे हुए हैं. माना जा रहा है कि बोर्ड के धन का दुरुपयोग कर नियमों के विरुद्ध विभिन्न संस्थाओं को पैसा आवंटित किया गया है. जिससे मजदूरों के हक पर डाका पड़ा है, लेकिन मजदूरों के ही बजट को लेकर एक नए मामले ने शासन स्तर पर होने वाली कार्रवाई पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं.
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दरअसल, नियम है कि किसी भी निर्माण में संस्थान को श्रम विभाग के खाते में दो प्रतिशत सेस देना होता है. इसी के तहत होने वाले तमाम निर्माण कार्यों के तहत सेस की रकम लंबे समय से ट्रेजरी में जमा की जा रही है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि जिन मजदूरों के लिए इस व्यवस्था को बनाया गया है, उन मजदूरों को इस पैसे का लाभ ही नहीं मिल पाया है. ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रेजरी में जमा करोड़ों रुपयों को वित्त विभाग की मंजूरी के बाद श्रम विभाग के खाते में इसे भेजा जाता है, लेकिन इस बार मामला कुछ अलग है. आरोप है कि करीब 98.5 करोड़ रुपए यानी 100 करोड़ के आसपास की रकम वित्त विभाग में जमा की गई, लेकिन ये रकम श्रम विभाग तक नहीं पहुंची है.