देहरादूनःकोरोना काल में हर ओर त्राहि मची है. सरकार भी कोरोना को लेकर हर संभव प्रभावी कदम उठा रही है. लेकिन इससे उलट राजधानी में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने राजधानी के बाशिंदों के माथे पर चिंता की गहरी लकीरें खींच दी है. राजस्व को पूरा करने की होड़ इतनी ज्यादा है कि इस बात पर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा कि जनता को भी जान-माल का नुकसान हो सकता है. हालत ये है कि देवभूमि में औद्योगिक विकास के नाम पर देहरादून के नदी-नालों में सरकारी खनन पट्टों से ग्रामीणों के घर और खेती को खतरे में डाला जा रहा है.
देहरादून के शिमला बाईपास रोड से सटे गणेशपुर के समीप कड़वा नाला से लेकर विकासनगर तक आने वाली तमाम ग्रामीण क्षेत्रों के नदी-नालों में इन दिनों बड़े पैमाने पर खनन चल रहा है. बाकायदा पोकलैंड से खनन किया जा रहा है. जिससे आसपास के ग्रामीणों के घर व किसानों की खेती खतरे की जद में है.
उधर, जिला प्रशासन के आदेश का हवाला देकर मानक से अधिक नदी-नालों का सीना चीरकर दिन-रात खनन का खेल चल रहा है. स्थानीय पुलिस चौकी के आगे से ट्रक ओवरलोडिंग सहित तमाम नियम कायदों को ताक पर रखकर चांदी काट रहे हैं. लेकिन दुर्भाग्य तो समझिए, पुलिस चाहकर भी इस मामले में किसी तरह से कार्रवाई नहीं कर पा रही है.