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स्वरोजगार की रफ्तार से सुस्त पड़ी पलायन की मार, फिर से आबाद हो रहा 'पहाड़' - स्वरोजगार पर युवाओं को आकर्षित

उत्तराखंड में सैकड़ों गांव पलायन की वजह से भुतहा हो चुके हैं, लेकिन उत्तराखंड पलायन निवारण आयोग ने जो ताजा रिपोर्ट सार्वजनिक किए हैं, वो कुछ हद तक सुखद है. पलायन आयोग की मानें तो उत्तराखंड में स्वरोजगार बढ़ने से दूसरे राज्यों की ओर बढ़ते युवाओं के कदम थमे हैं. हालांकि. यह पलायन गांव से कस्बों या जिले से जिले में हुआ है. ऐसे में साफ है स्वरोजगार से जुड़ी योजनाएं दशं बन चुकी पलायन पर मरहम का काम कर रहा है.

Self employment in Uttarakhand
स्वरोजगार की रफ्तार

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Published : Apr 23, 2023, 7:01 PM IST

Updated : Apr 23, 2023, 7:34 PM IST

स्वरोजगार की रफ्तार से सुस्त पड़ी पलायन की मार.

देहरादूनःप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी देश में बेरोजगारी को दूर करने के लिए स्वरोजगार को ही एकमात्र रास्ता बताते रहे हैं. शायद यही कारण है कि केंद्र सरकार स्टार्टअप को तवज्जो देकर युवाओं को उनके पैरों पर खड़ा करना चाहती है. इसी दिशा में उत्तराखंड सरकार भी स्वरोजगार के लिए कई योजनाओं को संचालित कर रही है. अच्छी बात ये है कि प्रदेश में स्वरोजगार को लेकर अब तक किए गए कुछ कार्यों का असर भी दिखने लगा है. स्वरोजगार योजना की सफलता पर उत्तराखंड पलायन निवारण आयोग भी मुहर लगा रहा है.

उत्तराखंड पलायन निवारण आयोग अब तक राज्य में हो रहे पलायन के आंकड़े सार्वजनिक करता रहा है. पिछले दिनों आयोग की तरफ से किए गए सर्वे के दौरान पलायन कर दूसरे राज्यों में जाने वालों की संख्या में कमी का आंकड़ा पेश किया गया था. खास बात ये है कि पलायन आयोग की तरफ से राज्य में पलायन की कमी के इस सुखद अनुभव की वजह स्वरोजगार को बताया गया है.

जाहिर है कि उत्तराखंड में स्वरोजगार योजनाओं को लेकर धामी सरकार के प्रयासों पर पलायन निवारण आयोग ने मुहर लगा दी है. बता दें कि उत्तराखंड में मौजूदा धामी सरकार ने इस बार अपने बजट में स्वरोजगार को सबसे ज्यादा फोकस किया है. इसके तहत कई योजनाओं को चलाया जा रहा है और इसके लिए बजट की भी व्यवस्था की गई है.

स्वरोजगार के लिए सबसे महत्वपूर्ण सेक्टर और योजनाएंःपर्यटन, कृषि, उद्यान और ऊर्जा जैसे सेक्टर में स्वरोजगार की संभावनाएं बढ़ी है. राज्य में 77,407 करोड़ के बजट में स्वरोजगार के लिए विशेष वित्तीय प्रावधान किए गए हैं. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत कुछ ही समय में 4,314 लोगों ने ऋण लेकर स्वरोजगार शुरू किया.

योजना में कुल 40 करोड का बजट राज्य सरकार की ओर से रखा गया. वीर चंद्र सिंह गढ़वाली योजना में ऋण की सीमा को बढ़ाया गया. उद्यान के लिए 15.66 करोड़ तो पॉली हाउस में 200 करोड़ का इस बार प्रावधान किया गया. राज्य में स्टार्टअप के लिए 30 करोड़ की व्यवस्था की गई है. उद्योगों को अनुदान के लिए भी राज्य सरकार ने ₹26 करोड़ रुपये रखे हैं.
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स्वरोजगार के लिए महत्वपूर्ण टिहरी झील के विकास के लिए भी 15 करोड़ की व्यवस्था की है. मुख्यमंत्री एकल महिला स्वरोजगार योजना में एक लाख के प्रोजेक्ट पर 50% का अनुदान देने का काम हो रहा है. सरकार छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए भी विशेष ऋण और छूट दे रही है.

राज्य सरकार की तरफ से स्वरोजगार पर विशेष फोकस की बड़ी वजह सरकारी नौकरियों का सीमित होना भी है. राज्य सरकार की तरफ से खाली पदों और जल्द अधियाचन भेजने की प्रक्रिया जारी है तो स्वरोजगार पर युवाओं को आकर्षित करने की कोशिश की जा रही है. ताकि युवा न केवल रोजगार पाए बल्कि रोजगार देने वाले भी बने.

इस मामले में उत्तराखंड पलायन निवारण आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी सरकार के इन प्रयासों पर यह कहकर मोहर लगा देते हैं कि राज्य में दूसरे राज्यों के लिए होने वाले पलायन में कमी आई है. इसकी वजह पहाड़ों पर बड़ा रूप ले रहे नए कस्बों में स्वरोजगार की संभावनाएं बेहतर होना है. आयोग के उपाध्यक्ष साफ कहते हैं कि स्वरोजगार के कारण राज्य में पलायन को लेकर नए आंकड़े सुखद और राहत देने वाले हैं.

आयोग की तरफ से हाल ही में राज्य सरकार को उस नई रिपोर्ट को भी प्रेषित कर दिया गया था. जिसे आयोग ने करीब 3 महीने में किए गए सर्वे के बाद तैयार किया था. यह सर्वे पूर्व के सालों के दौरान हुए पलायन का मौजूदा स्थितियों में तुलनात्मक अध्ययन के लिए किया गया था. अब इस सर्व में कई अहम बातें सामने आई है. जो बताती है कि कुछ हद तक स्वरोजगार ने पलायन के कदम को थामा है.
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पलायन निवारण आयोग के सर्वे में ये तथ्य आए सामनेःउत्तराखंडके सभी 7,500 से ज्यादा ग्राम पंचायतों में आयोग की तरफ से सर्वे किया गया था. जुलाई 2022 से सितंबर 2022 तक सर्वे के काम को पूरा किया गया. साल 2018 से 2022 के बीच पलायन की स्थिति में क्या अंतर आया? यह जानने के लिए सर्वे किया गया था. सर्वे में दूसरे राज्यों के लिए होने वाले पलायन में कमी पाई गई थी. राज्य में अब ज्यादात पलायन जिलों में बड़े कस्बों के लिए होना पाया गया है. सरकार के नियमों में शिथिलीकरण और सरलीकरण के साथ स्वरोजगार की योजनाओं को फोकस देने को वजह माना गया है.

राज्य में अब पलायन को लेकर जो नया आंकड़े आए हैं, वो सुखद भी है और राज्य के लिए बेहतर भी. लेकिन इसमें अभी बेहद ज्यादा सुधार की जरूरत भी है. क्योंकि, सीमांत और दुर्गम क्षेत्रों में अब भी पलायन हो रहा है. भले ही यह पलायन जिले के ही बड़े कस्बों या शहर की तरफ हो रहा हो, लेकिन अब भी पहाड़ के खाली होने का सिलसिला जारी है. लिहाजा, स्वरोजगार को लेकर यह कोशिशें सीमांत और दुर्गम क्षेत्रों तक भी पहुंचनी जरूरी है.

Last Updated : Apr 23, 2023, 7:34 PM IST

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