ऋषिकेश:तीर्थनगरी में माफियाओं ने अब मनमाने तरीके से नियमों को ताक पर रख बहुमंजिला इमारतें खड़ी कर रहे हैं, जिसकी वजह से लोगों का जीना भी दुश्वार हो रहा है. स्थानीय लोग शिकायतें दर शिकायतें कर रहे हैं. लेकिन एमडीडीए कुंभकर्णी नीद में सोया हुआ है. विस्थापित क्षेत्र के परिवारों का कहना है कि अब छोटा आशियाना बना कर रहने वाले परिवार आखिर जाएं कहा? एमडीडीए की अनदेखी और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों के उदासीन रवैए से लोग परेशान परेशान होकर प्रदेश के मुखिया न्याय की गुहार लगा रहे हैं.
विस्थापित क्षेत्र के निर्मल बाग बी (Nirmal Bagh B) में घर बनाकर रहने वाली माला देवी ने जैसे ही मीडिया को देखा तो कैमरे के सामने अपनी पीड़ा बताते हुए रोने लगीं. उन्होंने कहा भवन निर्माता ने पहले घर बनाने की बात की थी, लेकिन बाद में 6 मंजिला फ्लैट का निर्माण कर दिया. माला देवी ने बताया की वह बीमार रहती हैं. उनके बेटे ने इस निर्माण की शिकायत एमडीडीए से की थी. लेकिन निर्माण पर कोई कार्रवाई की गई. देखते ही देखते ऊंची इमारत खड़ी हो गई है.
बिल्डरों की मनमानी से परेशान विस्थापित. एमडीडीए के सहायक अभियंता पीपी सिंह जब विस्थापित क्षेत्र से गुजर रहे थे, तभी विस्थापित के लोगों ने उनका घेराव किया और अवैध निर्माणों की ओर ले गए. सहायक अभियंता ने कुछ निर्माण देखकर काम रुकवाया. लेकिन फिर वहां से चलते बने. विस्थापित के लोगों ने एमडीडीए के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन भी किया.
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विस्थापित क्षेत्र के रहने वाले हरि सिंह भंडारी का कहना है कि यहां पर नियमों को ताक पर रख ऊंची ऊंची इमारतें खड़ी की जा रही हैं. एमडीडीए से शिकायत करने पर कोई भी कार्रवाई अमल में नहीं लाई जा रही है. विस्थापित जनकल्याण समिति के सदस्य हरि सिंह भंडारी ने कहा कि विस्थापित, आम बाग और वीआईपी कॉलोनी में अवैध निर्माणों को लेकर उच्च न्यायालय में भी याचिका दायर की गई थी, जिसमें न्यायालय ने भी निर्माण पर रोक लगा दी थी.
इसके बावजूद भी यहां पर धड़ल्ले से अवैध निर्माण जारी है. उन्होंने कहा कि एमडीडीए के अधिकारी भ्रष्ट हैं और बिल्डरों से मिले हुए हैं. हरि सिंह भंडारी ने कहा कि 17 अक्टूबर यानी सोमवार को उप जिलाधिकारी कार्यालय का घेराव किया जाएगा. उसके बाद 18 अक्तूबर मंगलवार को एमडीडीए कार्यालय पहुंचकर एमडीडीए सचिव का भी घेराव किया जाएगा.
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सैकड़ों अवैध निर्माण:आपको बता दें कि पशुलोक विस्थापित क्षेत्र और आम बाग के रिहायशी और कृषि भूमि पर एक या दो नहीं बल्कि सैकड़ों बहुमंजिला अवैध निर्माण हो चुके हैं. बड़ी बात यह है इन क्षेत्रों में सीवर लाइन की सुविधा तक नहीं है, फिर भी कंक्रीट के जंगल खड़े हो गए हैं. बहुमंजिला इमारतों के आस पास रहने वाले परिवारों के घरों में सीलन और दरार तो आ ही रही है. वहींस लोगों को मिलने वाली धूप और हवा भी बंद हो गई है. यहां, तक कि जिस तरह से बेतरतीब तरीके से निर्माण किया जा रहा है, उसे लोगों की जान पर भी खतरा बना हुआ है.
दो बार सील हुआ भवन, काम जारी:विस्थापित निर्मल बाग बी में नर्सरी गेट के पास एक बहुमंजिला इमारत की शिकायत एमडीडीए से की गई थी, जिस पर एमडीडीए ने कार्रवाई करते हुए पहले 2020 में निर्माण को सील किया गया, लेकिन सील तोड़ कर निर्माण कार्य जारी रहा. इसके बाद एमडीडीए ने फिर 2021 को उसी निर्माण को फिर से सील किया. लेकिन आज भी वहां से सील गायब है और निर्माण कार्य जारी है, यही कारण है कि एनडीए की कार्यशैली पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं, अधिकारियों को भ्रष्ट बताया जा रहा है.
विस्थापितों की हो रही बेकदरी:देश के विकास को लेकर टिहरी के रहने वाले 13 गांव के लोगों ने अपना घर खेत खलिहान सब कुछ सरकार को सौंप कर अपनी अग्रणी भूमिका निभाई. सरकार ने साल 2000 में विस्थापित क्षेत्र के रहने वाले लोगों का विस्थापन ऋषिकेश और उसके आसपास के कई क्षेत्रों में किया, देश के विकास के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करने वाले लोगों को शायद ही उम्मीद थी कि उनके साथ इस तरह का व्यवहार होगा पर आज विस्थापित क्षेत्र में राजस्व ग्राम का दर्जा तो दूर उनको सीवर तक की सुविधा नहीं है. अवैध निर्माणों के मकड़जाल में भी यहां के लोग फंसते जा रहे हैं. यहां के रहने वाले लोगों का कोई भी ध्यान नहीं दे रहा है, इसलिए आज यहां के लोग अपने आपको थका हुआ सा महसूस कर रहे हैं.
एमडीडीए की दलील:एमडीडीए के सहायक अभियंता पीपी सिंह ने बताया की आम बाग और विस्थापित में ही रहे निर्माण रुकवा दिये गए हैं. निर्माणों पर समय समय पर कार्रवाई की जाती रही है. उन्होंने कह की नए निर्माणों पर भी कार्रवाई के अधिकारियों से बात की जाएगी, जैसा आदेश मिलेगा उसके अनुसार कार्रवाई की जाएगी. वहीं, सील भवन के मामले में सहायक अभियंता गोल मोल जवाब देते नजर आए.