देहरादून: वैश्विक महामारी कोरोना का देश-दुनिया के हर वर्ग और हर तबके पर असर देखने को मिला. कोरोना काल में प्रवासी देशभर में दूसरे राज्यों को छोड़ अपने घर लौटते दिखे. ऐसे में कोरोना काल के दौरान उत्तराखंड में हुए रिवर्स पलायन को देखते हुए सरकार ने युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने की योजना बनाई. इसी के तहत उत्तराखंड में मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की शुरुआत की गई. जिससे बड़ी संख्या में लोग जुड़े और स्वरोजगार अपनाया. वहीं इसी के साथ शुरू की गई मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना अति सूक्ष्म उद्यम योजना के प्रति लोगों का रुझान ज्यादा देखने को नहीं मिल रहा है. स्थिति यह है कि मात्र 16 फीसदी लोगों ने ही इस योजना का लाभ उठाया है.
कोविड काल के दौरान न सिर्फ अन्य राज्यों में नौकरी कर रहे लोग बेरोजगार हो गए थे, बल्कि प्रदेश में रहकर छोटा-मोटा व्यापार कर रहे लोगों पर भी कोविड काल का बड़ा असर देखने को मिला था. कोरोना काल के दौरान बड़ी संख्या में प्रवासी उत्तराखंडी अपने घर लौटे. लिहाजा इन सभी लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए ही राज्य सरकार ने पहल की थी. इन लोगों को प्रदेश में ही रोकने के लिए उत्तराखंड सरकार ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना की शुरुआत की थी. इसी के तहत सरकार ने अक्टूबर 2021 में अति सूक्ष्म उद्यम योजना की शुरुआत की थी, लेकिन यह योजना परवान नहीं चढ़ पाई.
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उत्तराखंड सरकार ने अति सूक्ष्म उद्यम योजना के तहत प्रदेश भर के 10 हजार लोगों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए 50 हजार रुपए का लोन बैंकों के माध्यम से उपलब्ध कराने का निर्णय लिया था, लेकिन आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2022-23 के अनुसार सरकार की ओर से निर्धारित 10 हजार लोगों के लक्ष्य में सिर्फ 1,645 लोगों को ही इसका लाभ मिल पाया. जबकि, बैंकों की ओर से 2,646 लोगों को लोन दिए जाने की स्वीकृति भी दे दी गई थीं. मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना अति सूक्ष्म उद्यम योजना के तहत प्रदेश भर में जिलावार लक्ष्य को निर्धारित किया गया था.
प्रदेश में अति सूक्ष्म उद्यम योजना की स्थिति
1-इस योजना के तहत अल्मोड़ा जिले में 800 लोगों को लाभ देने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन 348 लोगों को बैंकों से स्वीकृत मिलने के बावजूद मात्र 235 लोगों को लाभ मिल पाया.
2- इस योजना के तहत बागेश्वर जिले में 600 लोगों को लाभ देने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन 288 लोगों को बैंकों से स्वीकृत मिलने के बावजूद मात्र 244 लोगों को लाभ मिल पाया.
3- इस योजना के तहत चंपावत जिले में 600 लोगों को लाभ देने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन 350 लोगों को बैंकों से स्वीकृत मिलने के बावजूद मात्र 273 लोगों को लाभ मिल पाया.
4- इस योजना के तहत चमोली जिले में 800 लोगों को लाभ देने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन 64 लोगों को बैंकों से स्वीकृत मिलने के बावजूद मात्र 49 लोगों को लाभ मिल पाया.
5- इस योजना के तहत देहरादून जिले में 900 लोगों को लाभ देने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन 52 लोगों को बैंकों से स्वीकृत मिलने के बावजूद मात्र 42 लोगों को लाभ मिल पाया.