देहरादून:गंदगी से मरणासन्न हालत में पहुंच चुकी रिस्पना और बिंदाल नदी की सूरत संवारने की जो कवायद वर्ष 2010 से चल रही है, उसकी हालात जस की तस बनी हुई है. प्रदेश सरकार की तरफ से बिंदाल और रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने और रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के तहत नदियों के किनारों का सौंदर्यीकरण की योजना पर काम कर रही है. रिस्पना और बिंदाल नदी को पुनर्जीवित करने के लिए साल 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की घोषणा की थी. लेकिन, 5 साल बीत जाने के बाद भी रिस्पना और बिंदाल नदी की तस्वीर पहले जैसी ही बनी हुई है.
देहरादून ने करीब एक दशक पहले साबरमती नदी की तर्ज पर रिस्पना और बिंदाल के पुनर्जीवित का एक ख्वाब देखा था. जो मौजूदा दौर में महज ख्वाब बनकर ही रह गया है. एमडीडीए प्रशासन एक बार फिर रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट से जुड़े कार्यों को गति देने की तैयारियों में है. जिसके लिए एमडीडीए की ओर से तरफ से नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कंपनी इंडिया लिमिटेड (एनबीसीसी) से एमओयू साइन करने की तैयारी है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए एमडीडीए के उपाध्यक्ष रणवीर सिंह चौहान ने बताया कि फिलहाल एनबीसीसी के साथ करार का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है. शासन से अनुमति मिलते ही डीपीआर तैयार कर रिस्पना और बिंदाल नदी में रिवरफ्रंट डेवलपमेंट का कार्य शुरू कर दिया जाएगा.
रिस्पना-बिंदाल रिवरफ्रंट योजना में आएगी तेजी. ये भी पढ़ें:स्वच्छ सर्वेक्षण 2020: उत्तराखंड में महिला नेतृत्व का दबदबा, क्षेत्र को दिलाई राष्ट्रीय पहचान
वर्तमान में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर रिस्पना नदी के 1.2 किलोमीटर के हिस्से में रिवरफ्रंट डेवलपमेंट का कार्य होना है. जबकि बिंदाल नदी के 2.2 किलोमीटर हिस्से को रिवरफ्रंट डेवलपमेंट कार्य के लिए चिन्हित किया गया है. जबकि पहले रिस्पना के 17 किलोमीटर लंबे हिस्से में रिवरफ्रंट डेवलपमेंट का कार्य होना था. वहीं, बिंदाल नदी किनारे 19 किलोमीटर लंबे हिस्से में रिवरफ्रंट डेवलपमेंट के तहत कार्य होना था.
जनवरी में आई स्पेशल ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक एमडीडीए की तरफ से रिवरफ्रंट डेवलपमेंट योजना के तहत रिस्पना और बिंदाल के किनारों पर कई तरह के कार्य किए गए थे. लेकिन 50 करोड़ की लागत से हुए काम पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं.
देहरादून में पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले करण कपूर का कहना है कि सरकार हर बार रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के तहत रिस्पना और बिंदाल नदी को पुनर्जीवित करने का दावा तो जरूर करती है. लेकिन, हकीकत सबके सामने हैं. दरअसल, इस पूरे प्रोजेक्ट की कार्ययोजना अभी तक सही तरीके से तैयार नहीं की गई है. जब तक चुनौती से भरे इस पूरे प्रोजेक्ट की कार्य योजना सही ढंग से तैयार नहीं होगी, तब तक प्रोजेक्ट सफल नहीं होगा और पैसों की बर्बादी होती रहेगी.
रिवरफ्रंट डेवलपमेंट योजना से जुड़ी चुनौतियां
तत्कालीन सीएम हरीश रावत की सरकार में रिस्पना और बिंदाल नदी की सूरत संवारने को रिवरफ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट तैयार किया गया था. इस दिशा में कुछ काम भी किए गए, हालांकि प्रोजेक्ट लीपापोती से आगे नहीं बढ़ पाया. वर्तमान में त्रिवेंद्र सरकार में भी इस पर लंबी-चौड़ी कसरत की गई है. एक मुश्त दोनों नदियों पर काम करने की जगह पायलट प्रोजेक्ट के रूप में निश्चित क्षेत्रों का चयन किया गया. लेकिन, नतीजा सिफर दिख रहा है.
- एमडीडीए के सामने सबसे बड़ी समस्या रिस्पना और बिंदाल नदी को उसके सही स्वरूप में लाने की है. वर्तमान में दोनों ही नदियों में गंदगी का अंबार लगा है. ऐसे में एमडीडीए को सबसे पहले नदी से गंदगी कम करने के उपाय ढूंढने की जरूरत है.
- रिस्पना और बिंदाल नदियों के किनारे आज भी हजारों लोग बस्तियों में रहते हैं. ऐसे में रिवरफ्रंट डेवलपमेंट से जुड़े कार्यों को सही तरह से धरातल पर उतारने के लिए इन बस्तियों को विस्थापित करना होगा. लेकिन, इन बस्तियों में रहने वाले विस्थापन के लिए बिल्कुल भी तैयार नहीं है.
रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट में होने वाले कार्य
- रिस्पना नदी की लंबाई धोरण पुल से बालासुंदरी मंदिर तक 1.2 किमी है.
- रिवरफ्रंट डेवलपमेंट के तहत रिस्पना और बिंदाल नदी का चैनलाइजेशन होना है.
- जन सुविधाओं व सड़कों का निर्माण और गरीबों के लिए आवास निर्माण किया जाना है.
- पार्किंग व्यवस्था और आरएफडी एरियाज का सौंदर्यीकरण के साथ हरियाली क्षेत्रों का विकास करना है.
- साइकिल ट्रैक, पुल निर्माण और थीम पार्क. इसके साथ ही रिवरफ्रंट में चेकडैम, रेन वाटर निकासी की व्यवस्था भी करना है.