देहरादून: मसूरी-देहरादून विकास प्राधिकरण ने राजधानी देहरादून के कई व्यावयायिक प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किए हैं. यह कार्रवाई हाई कोर्ट के आदेश पर की गई है. इन प्रतिष्ठानों का संचालन आवासीय नक्शे पर किया जा रहा है. अब ऐसे भवन स्वामियों के पास एकमात्र विकल्प कंपाउंडिंग ही बचा है. जिससे अब व्यापारिक प्रतिष्ठानों पर सीलिंग को लेकर एक नई और समस्या पैदा हो गई है.
बता दें, आरटीआई से खुलासा हुआ कि देहरादून में अतिक्रमण हटाओ अभियान बीते जून महीने के अंत से चल रहा है. उसकी कार्रवाई को लेकर अधिकारियों के पास लिखित में कोई ठोस जवाब ही नहीं है.
बता दें, जिन क्षेत्रों में अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया, वहां बड़ी संख्या में भवनों के आगे का भाग अतिक्रमण के दायरे में आने पर ध्वस्त कर दिया गया. इससे जितना फ्रंट एक भवन के लिए चाहिए, उसमें काफी कमी आ गई है. लिहाजा, यह सभी भवन एमडीडीए के बिल्डिंग बायलॉज के लिहाज से अवैध हो गए हैं तो वहीं, कई प्रतिष्ठान ऐसे भी हैं जिनका हिस्सा अतिक्रमण अभियान की भेंट चढ़ने के बाद पीछे बहुत कम जगह बची है. कई भवन कंपाउंडिंग की सीमा में भी नहीं आ पा रहे हैं. ऐसे में एमडीडीए कई भवनों के खिलाफ कभी भी ध्वस्तीकरण करने की कार्रवाई शुरू कर सकता है. एमडीडीए की ओर से सबसे अधिक नोटिस ऐसे प्रतिष्ठानों को भेजे गए हैं, जिनका भवन आवासीय नक्शे में पास हैं, जबकि इन पर कमर्शियल गतिविधियां चल रहीं हैं.
हाई कोर्ट के आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि ऐसे भवनों के खिलाफ कार्रवाई की जाए. साथ ही जिन भवनों को एमडीडीए ने नोटिस जारी किए हैं, उनके लिए बचाव के लिए वन टाइम सेटेलमेंट स्कीम के जरिए कंपाउंडिंग ही करना पड़ेगा, ताकि सभी भवन स्वामी आसानी से अपने निर्माण को वर्तमान उपयोग के हिसाब से वैध करा सकें. एमडीडीए ने 300 से अधिक जाखन, मालसी और कुठाल गेट क्षेत्र के ऐसे प्रतिष्ठानों को नोटिस भेजे हैं जिनका संचालन स्वीकृत नक्शे से अलग किया जा रहा है.