देहरादून: रविवार को देहरादून में जोशीमठ बचाओ पहाड़ बचाओ मार्च निकाला गया. उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच और उत्तराखंड विमर्श के आह्वान पर निकाले गए मार्च का मकसद आपदा प्रभावित जोशीमठ वासियों के प्रति एकजुटता प्रकट करना और उनको समर्थन प्रदान करना था. मार्च में राज्य आंदोलनकारी, पत्रकार, छात्र-छात्राएं, युवा सामाजिक संगठनों से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता, अधिवक्ता और कर्मचारी नेता शामिल रहे.
जोशीमठ के प्रति जताया समर्थन: गांधी पार्क से राजपुर रोड होते हुए मार्च घंटाघर चौक स्थित पर्वतीय गांधी इंद्रमणि बडोनी की प्रतिमा के समीप पहुंचकर सभा में तब्दील हो गया. इस मौके पर राज्य आंदोलनकारियों ने कहा कि यह मार्च जोशीमठ वासियों के समर्थन और उनके प्रति एकजुटता व्यक्त करने के उद्देश्य से निकाला गया था. हम सभी वहां के प्रभावित परिवारों के साथ हैं और सरकार के भी साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं, क्योंकि यह आपदा की घड़ी है. ऐसे में सरकार को लोगों के समुचित विस्थापन और जोशीमठ को बचाने के लिए तीव्रता दिखानी होगी.
लोगों ने जोशीमठ के लिए दिखाई एकजुटता राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजेंगे पत्र: राज्य आंदोलनकारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन नेगी का कहना है कि इस संबंध में हस्ताक्षर अभियान चलाकर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को जोशीमठ बचाए जाने को लेकर उचित कदम उठाने का आग्रह किया जाएगा और प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र भेजे जाएंगे. जगमोहन नेगी का कहना है कि चीन सीमा के आखिरी शहर जोशीमठ का सुरक्षित रहना देश की सीमा की सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि चमोली और उसके आसपास के भू धंसाव को देखते हुए सभी लोग चिंतित हैं. ऐसे में भविष्य में यह स्थिति किसी और स्थान पर नहीं हो इसके लिए सरकार को जल्द ही पर्वतीय क्षेत्रों का व्यापक भूगर्भीय सर्वे कराने के कदम उठाने चाहिए.
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जोशीमठ में 826 घरों में आ चुकी दरारें: वहीं मार्च में शामिल एमकेपी महाविद्यालय की सभी छात्राओं का कहना है कि आपदा की इस घड़ी में जोशीमठ वासियों के साथ तमाम लोग कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं और सरकार को उनकी समस्याओं का स्थाई और त्वरित हल निकालना होगा. गौरतलब है कि आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने रविवार को जोशीमठ भू धंसाव को लेकर बुलेटिन जारी किया. जिसके अनुसार जोशीमठ में अब तक 826 घरों में दरारें आ चुकी है. वहीं, दो और होटल एक-दूसरे की ओर झुक गए हैं. औली रोपवे के पास दरारें भी चौड़ी हो गई हैं.