बिना अध्यक्ष के बोर्ड की बैठकों पर लगा ब्रेक देहरादूनःउत्तराखंड वन विकास निगम के पास ऐसे कई महत्वपूर्ण काम है, जो प्रदेश के राजस्व को बढ़ाने वाले हैं. खास तौर पर खनन और सूखे पेड़ों को काटने का काम भी वन विकास निगम देखता है. पिछले कुछ समय से वन विकास निगम अवैध रूप से पेड़ काटे जाने वाले मामलों को लेकर भी चर्चाओं में रहा है, लेकिन इन स्थितियों के बीच वन विकास निगम के अध्यक्ष कैलाश गहतोड़ी अपने खराब स्वास्थ्य के कारण निगम को अपनी सेवाएं नहीं दे पा रहे हैं. जिसके चलते वन विकास निगम में बोर्ड की बैठक भी नहीं हो पा रही है. इसका सीधा असर निगम में होने वाले कामों और कर्मचारियों से जुड़े तमाम विषयों को लेकर होने वाले समाधान पर पड़ रहा है.
दरअसल, उत्तराखंड वन विकास निगम में विभिन्न फैसलों को बोर्ड में लाने के बाद ही लिया जाता है. विशेष वित्तीय स्वीकृति की बात हो या कर्मचारी के हितों से जुड़े विभिन्न मुद्दे हो सभी के लिए बोर्ड बैठक में प्रस्ताव लाया जाना जरूरी होता है, लेकिन वन विकास निगम में अध्यक्ष की गैर मौजूदगी के कारण बोर्ड की बैठक आयोजित कर पाना फिलहाल मुश्किल हो रहा है. इससे निगम के काम भी बाधित हो रहे हैं.
इसी को लेकर कर्मचारी भी समय-समय पर अपनी बात रखते रहे हैं. खास बात ये है कि वन विकास निगम के कामों में पड़ रहे प्रभाव को देखते हुए अब वन मंत्री सुबोध उनियाल ने इसका कोई हल निकालने के निर्देश प्रमुख सचिव को दे दिए हैं. कोशिश की जा रही है कि बोर्ड बैठक में अध्यक्ष के मौजूद रहने के प्रोटोकॉल को देखते हुए कोई ऐसी व्यवस्था बनाई जाए. ताकि, उनकी गैर मौजूदगी में भी यह बैठक की जा सके.
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कैलाश गहतोड़ी उत्तराखंड वन विकास निगम के अध्यक्ष हैं और वे एक गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं, हालांकि, कैलाश गहतोड़ी का काफी लंबे समय से इलाज चल रहा है. जिसकी वजह से वो वन विकास निगम को अपना समय नहीं दे पा रहे हैं. पिछले कुछ महीनों से वो अपने इलाज के लिए विदेश गए हुए हैं. ऐसे में अब वन विकास निगम में अध्यक्ष के न होने के कारण कई तरह की समस्याएं हो रही है.
बता दें कि कैलाश गहतोड़ी चंपावत विधानसभा सीट से विधायक रहे हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए अपनी सीट छोड़ी थी. लिहाजा, कैलाश गहतोड़ी को इसका इनाम भी मिला और उन्हें वन विकास निगम में अध्यक्ष बना दिया गया, लेकिन खराब स्वास्थ्य के चलते कैलाश गहतोड़ी का वन विकास निगम में समय न दे पाना निगम के लिए परेशानी बना हुआ है.