देहरादून: कोरोना महामारी के इस दौर में समाज के हर एक तबके पर अलग-अलग तरह से असर पड़ा है. प्रिंटिंग प्रेस व्यवसाय भी इसी में से एक है. कोरोना के बाद से ये कारोबार घटकर 20 से 25 प्रतिशत पर आ गया है. कारोबारियों का कहना है कि कोरोना काल में कागज, इंक, प्लास्टिक के दाम बढ़ गए हैं, छपाई का काम कम हो गया है. इससे आय भी प्रभावित हुई है. कारोबार प्रभावित होने से कर्मचारियों का मानदेय, बिजली बिल, लोन सहित अन्य खर्च निकालना मुश्किल हो गया है.
आज दम तोड़ रहा प्रिटिंग प्रेस व्यवसाय
कोरोना महामारी और कोरोना कर्फ्यू के कारण प्रिटिंग प्रेस का व्यापार चौपट हो गया है. स्कूल बंद हैं और शादियों के कार्यक्रम पर लगे पहरे ने इनकी परेशानियों को और बढ़ा दिया है. पिछले दो साल से इस क्षेत्र पर बेहद बुरा असर पड़ा है. राजधानी देहरादून जो कि लंबे समय से प्रिंटिंग प्रेस को लेकर पूरे राज्य का केंद्र बिंदु रहा है, यहां भी हालात खराब हैं. यहां राज्य आंदोलन से पहले से लेकर अब तक प्रिंटिंग व्यवसायियों ने अपने आप को विकास की रफ्तार के साथ ढाला है, मगर ये अब इस मुश्किल वक्त में दम तोड़ रहे हैं.
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कई प्रिंटिंग प्रेस मालिकों ने बदला व्यवसाय
तकरीबन 35 साल से प्रिंटिंग व्यवसाय में नाम बना चुके मोहन प्रेस की तीसरी पीढ़ी मनोज मनोचा ने बताया कि प्रिंटिंग प्रेस व्यवसाय पिछले एक साल से अब तक के अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. उन्होंने बताया कि इस दौरान दर्जनों प्रिंटिंग प्रेस व्यवसायियों ने अपना व्यवसाय बदल लिया है. कई तो ऐसे हैं जिन्होंने अपनी प्रेस बंद कर दी है.
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उम्मीद नहीं कि कभी पटरी पर लौटेगी गाड़ी
वहीं कोविड-19 के इस मुश्किल भरे दौर में शादियों के कार्ड छापने के अलावा अन्य सभी तरह की प्रिंटिंग और छपाई का काम पूरी तरह से बंद है. पिछले एक साल में कई व्यवसायियों ने अपनी जान भी गंवाई है. मनोज बताते हैं कि सभी प्रिंटिंग प्रेस व्यवसायियों के लिए ये सबसे बुरा दौर है. इस समय हालात बेहद मुश्किल भरे हैं. बेहद भावुक होते हुए मनोज कहते हैं कि अब उन्हें उम्मीद नहीं है कि उनका यह व्यवसाय कभी इस दौर से उबर पाएगा.