देहरादूनः सूबे में सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था की बदहाल स्थिति किसी से छिपी नहीं है. आलम ये है कि प्रदेश के ज्यादातर सरकारी स्कूल छात्र विहीन हो चुके हैं. जहां पर छात्र संख्या ठीक भी है, तो वहां पर शिक्षक नहीं है. इतना ही नहीं प्रदेश के प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में आज भी शिक्षकों के कई पद खाली चल रहे हैं. जबकि, सरकार दावा कर रही है सरकारी स्कूलों की शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार किया जा रहा है, लेकिन हकीकत ठीक उलट है.
शिक्षा निदेशालय से मिले आंकड़ों पर गौर करें तो प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में सबसे ज्यादा सहायक अध्यापक के पद खाली चल रहे हैं. जहां प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों के लिए सहायक अध्यापक के स्वीकृत पदों की संख्या 20,823 है. वहीं, इसके सापेक्ष प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में वर्तमान में 17,724 सहायक अध्यापक ही कार्यरत हैं, जबकि 3099 पद अभी भी रिक्त चल रहे हैं.
ये भी पढ़ेंःविडंबनाः ऊपर मंडरा रही 'मौत', नीचे आखर ज्ञान ले रहे नौनिहाल
उच्च प्राथमिक विद्यालयों की स्थितिः शिक्षा महानिदेशक बीडी तिवारी का कहना है कि सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय के 2648 पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया जनपद स्तर पर गतिमान है. ऐसे में जल्दी इन रिक्त पदों को भर दिया जाएगा. बात प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों की करें तो प्रदेश के उच्च प्राथमिक विद्यालयों में भी सहायक अध्यापक के 858 पद रिक्त चल रहे हैं. जबकि, अगर बात स्वीकृत पदों की करें तो स्वीकृत पद 7196 हैं. इसकी तुलना में महज 6338 सहायक अध्यापक ही कार्यरत हैं.
माध्यमिक विद्यालयों की स्थितिः कुछ ऐसा ही हाल प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों का भी है. प्रदेश के माध्यमिक स्कूलों की बात करें तो सबसे ज्यादा पद प्रधानाचार्य इंटर कॉलेज के रिक्त चल रहे हैं. जहां प्रधानाचार्य इंटर कॉलेज के 1386 पद स्वीकृत हैं. वहीं, इसकी तुलना में महज 306 प्रधानाचार्य ही इंटर कॉलेजों में कार्यरत हैं. जबकि, 1080 पद रिक्त चल रहे हैं.
ये भी पढ़ेंःराज्य स्थापना दिवस से पहले सरकारी स्कूलों की सुधरेगी हालत, 430 बदहाल स्कूलों की बदलेगी सूरत