देहरादून:उत्तराखंड में शायद ही ऐसा कोई मॉनसून रहा होगा, जो आपदा के निशान छोड़कर न गया हो. इस बार भी आखिर में मॉनसून ने उत्तराखंड को बड़ा जख्म दिया (Dehradun cloud burst) है. शनिवार तड़के देहरादून जिले के मालदेवता क्षेत्र में आई आपदा (Dehradun Maldevata disaster) ने वहां सब कुछ बर्बाद कर दिया. इस बार की आपदा में एक तस्वीर नेताओं की सामने आई है. नेता ने इस बार हवाई सर्वे नहीं किया, बल्कि खुद मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्यों में सहयोग किया और मुश्किल हालात में भी मौके पर ही डटे रहे.
मालदेवता के सरखेत में शनिवार तड़के बादल फटने के बाद भयंकर तबाही हुई. पानी का सैलाब अपने साथ सब कुछ बर्बाद करके ले गया. कई जिंदगियां अभी भी मलबे के नीचे दफ्न हैं. ऐसी आपदा के समय मंत्री और बड़े नेता एसी कमरों में बैठकर ही हालात का जायजा लेते रहते हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ है. जैसे ये खबर सामने आई कि बादल फटने की वजह से मालदेवता इलाके में भयंकर तबाही हुई सरकार के मंत्री खुद आपदाग्रस्त क्षेत्रों की तरफ दौड़े और राहत एवं बचाव कार्य में लगी टीमों के साथ मिलकर पूरी स्थिति का जायजा भी लिया.
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उत्तराखंड में कई ऐसे बड़े नेता हैं, जिनको उनके काम के लिए जाना जाता है. इसमें एक नाम है महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी. भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के बड़े नेता और यहां के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं. उनके बार में कहा जाता है कि जब भी उत्तराखंड के किसी भी क्षेत्र में आपदा की कोई बड़ी घटना घटित होती तो वो अपने गनर के साथ धोती कुर्ता पहनकर वहां पहुंच जाते थे.
हरीश रावत की गिनती भी कुछ इसी तरह के नेताओं में की जाती है. हरीश रावत आपदा के दौरान खूब पैदल चलकर लोगों तक पहुंचते हैं. यही कारण है कि अब राजधानी में बैठे नेताओं को भी उनसे कुछ सीख लेनी पड़ रही है. शनिवार तड़के मालदेवता में आई आपदा में प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तो आपदा स्थल तक नहीं पहुंचे, लेकिन उनके प्रतिनिधि के तौर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी (cabinet minister Ganesh Joshi) जरूर मुश्किल हालात को पार करते हुए आपदाग्रस्त क्षेत्रों में पहुंचे थे.
गणेश जोशी ने दिखाया दम:राजधानी देहरादून के मालदेवता में जैसे ही बादल फटा मौके पर पहुंचने वालों में सबसे पहले कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ही थे. बेहद खतरनाक और उफनती नदी के किनारे जान की परवाह किए बिना गणेश जोशी आपदाग्रस्त क्षेत्र में पहुंचे थे. बीते दो दिनों से भी गणेश जोशी लगातार इलाके का भ्रणम कर रहे हैं. शायद यही कारण है कि पिछले चार बार से वो लगातार विधायक बन रहे हैं.
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पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की तस्वीरें भी काफी हद तक उत्तराखंड के पहाड़ी लोगों को राहत दे सकती है. जिस तरह से गहरे नाले और बरसाती नदिया पार करते हुए त्रिवेंद्र सिंह रावत जनता तक पहुंचे. यह भी राजनीति के मानक को ऊपर उठाती है. त्रिवेंद्र सिंह रावत अपने सुरक्षाकर्मियों और कुछ कार्यकर्ताओं के साथ मालदेवता के उस क्षेत्र में पहुंचे, जहां पर सिर्फ पुलिस के जवान ही पहुंच पा रहे हैं. हालांकि त्रिवेंद्र सिंह रावत हो या अन्य नेता इनके वीडियो यह बता रहे हैं कि किस तरह से रिस्क लेकर राजनेता इस आपदा के क्षेत्र में पहुंच रहे है.
पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत. हरीश रावत नहीं भूले खतरनाक रास्तों पर चलना: आपदा के दौरान हरीश रावत को लोगों ने डंडा हाथ में लिए आपदाग्रस्त क्षेत्रों में भ्रमण करते हुए देखा है. मालदेवता में भी कांपते पैरों से हरीश रावत भी आपदाग्रस्त क्षेत्रों में पहुंचे. हरीश रावत के साथ उनके दो सुरक्षाकर्मी और कुछ कार्यकर्ता मौजूद थे. खतरनाक रास्तों से होते हुए हरीश रावत भी मालदेवता के उस छोर तक पहुंचे जहां पर सबसे अधिक नुकसान हुआ है.
मुश्किल रास्तों से जाते हुए हरीश रावत. नेताओं की इस तरह की तस्वीरें पहाड़ों से बेहद काम आती है. हो सकता है कि राजनेता इन क्षेत्रों में इसलिए भी पहुंचने की कोशिश कर रहे हो, क्योंकि यह क्षेत्र राजधानी से लगा हुआ है. जबकि ऐसी फुर्ती और तत्परता तमाम नेताओं को उस समय भी दिखानी चाहिए जिस वक्त उत्तराखंड के दुरुस्त क्षेत्रों में आपदा आती है. ताकि नेताओं के मूवमेंट की वजह से अधिकारी किसी तरह की लापरवाही ना बरत सकें.
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उत्तरकाशी में भी विधायक बल्ली के सहारे राहत में लगे: उत्तरकाशी से भी कुछ ऐसी ही तस्वीर सामने आई, जहां उत्तरकाशी जिले की मोरी तहसील क्षेत्र में बीती 10 अगस्त को भारी बारिश हुई थी, जिस कारण इस क्षेत्र में काफी तबाही हुई थी. मोरी तहसील क्षेत्र में नैटवाड़ सांकरी मोटर मार्ग पर फफराला गदेरे के ऊपर बनी पुलिया भी बह गई. इस पुलिया के बह जाने के कारण पंचगाई और बाडसू पट्टी के लगभग 20 गांवों का संपर्क मोरी तहसील मुख्यालय से कट गया था. आवाजाही के लिए लोगों ने बल्ली से जुगाड़ का पुल बनाया. इस जुगाड़ के पुल से पुरोल विधायक भी नाला पार कर अपने क्षेत्र को लोगों से मिलने जा रहे हैं.
विधायक बल्ली के सहारे राहत में लगे नेताओं के दौरे से नुकसान भी और फायदा भी: किसी भी आपदा स्थल पर जब नेताओं का जमावड़ा लगता तो अधिकारी पहले से ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं और राहत व बचाव कार्यों में तेजी आती है. हालांकि इसका नुकसान ये है कि इससे प्रशासनिक काम काफी बढ़ जाता है. मालदेवता में जैसे ही नेताओं ने भ्रमण करना शुरू किया तो जिलाधिकारी, कमिश्नर, एसएसपी, डीआईजी और खुद डीजीपी को मोर्चा संभालना पड़ा, इसके राहत और बचाव कार्यों में तेजी आई.