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बेमर गांव में भारत कंस्ट्रक्शन कंपनी की हठधर्मिता, खतरे की जद में आये कई मकान - Bharat Construction Company in Bemar Village

बेमर गांव में ठेकेदार की हठधर्मिता का खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है. यहां कई लोगों के मकान खतरे की जद में आ गये हैं. ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से पीड़ितों को मुआवजा देने की मांग की है.

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बेमर गांव में भारत कंस्ट्रक्शन कंपनी की हठधर्मिता

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Published : Sep 9, 2021, 4:13 PM IST

ऋषिकेश:ऑल वेदर रोड भारत कंस्ट्रक्शन कंपनी की हठधर्मिता के कारण बेमर के प्रताप सिंह का 9 कमरों का मकान हवा में लटक गया है. प्रशासन ने प्रताप सिंह को मकान खाली करने के निर्देश दिए हैं. जिसके बाद वे परिवार सहित पड़ोसी के यहां शरण लेने को मजबूर हैं. ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से पीड़ितों को मुआवजा देने के साथ ही कंपनी की लायबिलिटी फिक्स करने की मांग की है. अगर ऐसा नहीं होता तो ग्रामीण आंदोलन के लिए सड़कों पर उतरने को बाध्य होंगे.

बेमर गांव फकोट और खाड़ी के बीच ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर ताछला ग्राम पंचायत में स्थित है. यहां पर 100 मीटर से अधिक की चौड़ाई की रोड होने के बावजूद भारत कंस्ट्रक्शन कंपनी ने 100 मीटर और अंदर रोड की खुदान कर प्रताप सिंह रावत के मकान को हवा में लटका दिया. कंपनी की इस कारगुजारी से क्षेत्र के लोगों में जबरदस्त आक्रोश है.

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क्षेत्र के लोगों को यह भनक लगी कि ऑल वेदर कंस्ट्रक्शन कंपनी के आला अधिकारी आज मौके पर पहुंच रहे हैं. जिसके बाद पूर्व ब्लॉक प्रमुख विरेंद्र कंडारी क्षेत्रीय प्रतिनिधियों के साथ अधिकारियों से वार्ता करने मौके पर पहुंचे. मगर 3 घंटे के लंबे इंतजार के बाद भी कंस्ट्रक्शन कंपनी का कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा. कंस्ट्रक्शन कंपनी का यह रवैया देख पूर्व ब्लाक प्रमुख विरेंद्र सिंह कंडारी व पीड़ित प्रताप सिंह सहित उपस्थित ग्रामीणों ने आक्रोश जताया.

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लोगों का कहना है कि जब पहले ही यहां पर सड़क 100 मीटर चौड़ी थी, तो फिर 100 मीटर अंदर की तरफ क्यों काटी गई. विरेंद्र कंडारी और प्रताप सिंह सहित ग्रामीणों ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि कंस्ट्रक्शन कंपनी के अधिकारियों ने उनकी एक भी नहीं सुनी. जिसका नतीजा आज प्रताप सिंह को भुगतना पड़ा है.

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वीरेंद्र कंडारी ने कहा जिलाधिकारी से इस संबंध में पिछले दिनों उन्होंने नई टिहरी पहुंच कर वार्ता की थी. मगर सब कुछ बेनतीजा रहा. कंस्ट्रक्शन कंपनी हठधर्मिता से बाज नहीं आई. जिसका नतीजा आज सामने है.


इस तरह से है क्षति का आकलन

  • प्रताप सिंह रावत बेघर हो गये हैं. उनका 9 कमरों का दो मंजिला पक्का मकान खतरे की जद में आ गया है. गौशाला धराशाई हो गई है. 5 शौचालय, 5 बाथरूम, 2 बड़े शौचालय, पिट, 4 बड़े फसली खेत सब कुछ तबाह हो गये हैं.
  • गांव के पैदल मार्ग, पेयजल पाइप लाइन मलबे की भेंट चढ़ गए. कई गांव को जोड़ने वाले पैदल मार्ग का कहीं अता-पता ही नहीं है.
  • प्रताप सिंह रावत के अलावा सोबन सिंह रावत का मकान भी खतरे की जद में है. इनके दो बड़े खेत अदरक की फसल सहित जमींदोज हो गए.
  • गांव के लोगों के आम, अखरोट, बांस, पीपल, खड़ीक के फलदार व चारा पत्ती के पेड़ मलबे की भेंट चढ़ गए. अगर बारिश होती है तो संजय सिंह व विजय कुमार के मकानों को भी खतरा पहुंच सकता है.

इतने बड़े हादसे को अंजाम देने के बाद अब कंस्ट्रक्शन कंपनी बेतुका कार्य कर रही है. सड़क को अंदर की तरफ खोदने से जो मलबा निकला अब उसे 100 मीटर नीचे की ओर पुरानी सड़क पर ही समतल किया जा रहा है. इस घटना के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाए जाने की मांग ग्रामीणों ने की है.

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पूर्व प्रमुख विरेंद्र कंडारी सहित प्रताप सिंह और ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि पीड़ितों को मुआवजा दिलाया जाये. कंपनी पर लायबिलिटी फिक्स की जाये. अगर ऐसा नहीं होता तो बेमर गांव के ग्रामीण आंदोलन के लिए सड़कों पर उतरने को बाध्य होंगे.

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