देहरादून: एक फरवरी को बजट पेश होगा. इस बजट से सबसे अधिक उम्मीदें तो मिडिल क्लास और खासकर नौकरीपेशा लोगों को हैं. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट के पिटारे से इस बार प्रदेश सरकार को केंद्रीय योजनाओं में अधिक मदद की दरकार है. मनरेगा, ग्राम सड़क योजना, सिंचाई योजना आदि में केंद्र सरकार ने बजट बढ़ाया तो राज्य को भी सीधा फायदा होगा.
उत्तराखंड सरकार के बजट का करीब 25 से 30 प्रतिशत तक केंद्रीय अनुदान का हिस्सा रहता आया है. मनरेगा में प्रदेश का बजट करीब सात अरब रुपए का है. मनरेगा से राज्य में कई नई योजनाओं की शुरुआत सरकार ने की है. ऐसे में मनरेगा का बजट बढ़ता है तो राज्य को इसका सीधा फायदा होगा.
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत उत्तराखंड सरकार को वर्ष 2019-20 में 560 करोड़ रुपए मिले थे. केंद्र सरकार अगर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का बजट बढ़ाती है तो राज्य को ग्रामीण सड़क निर्माण में फायदा होगा. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क, मनरेगा आदि में उम्मीद है कि सरकार की तरफ से बजट बढ़ेगा.
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में प्रदेश सरकार को केंद्र से अभी तक करीब नौ हजार करोड़ रुपये मिले हैं. जिसमें से पांच हजार करोड़ रुपये खर्च भी किए जा चुके हैं. प्रधानमंत्री सिंचाई योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना आदि का बजट बढ़ने की उम्मीद भी प्रदेश सरकार को है. भारत नेट के तहत भी दो हजार करोड़ रुपए की योजना उत्तराखंड में चल रही है.
कोर सेक्टर की 45 योजनाएं
केंद्रीय योजनाओं के कोर सेक्टर में करीब 45 योजनाएं हैं. इसमें भारत नेट, नमामि गंगे, किसानों के लिए फसली ऋण, खेलो इंडिया, उज्ज्वला, श्रमिक कल्याण, कला-संस्कृति विकास आदि शामिल हैं. इन योजनाओं के लिए केंद्र सरकार की तरफ से ही पैसा दिया जाता है.
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बजट बढ़ा तो होगा अधिक फायदा
कोर स्कीम में करीब 22 योजनाएं शामिल हैं. इन योजनाओं में करीब 20 प्रतिशत तक राज्य सरकार को खर्च उठाना होता है. सीमांत क्षेत्र विकास योजना, आजीविका, अमृत योजना, पुलिस बल आधुनिकीकरण, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, रोजगार आदि की योजनाएं इस वर्ग में शामिल हैं. ऐसे में इन योजनाओं पर भी प्रदेश सरकार की खास नजर है.
डबल इंजन को अधिक मदद की दरकार
उत्तराखंड में वर्ष 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सरकार पर लोक लुभावन बजट का दबाव है. सेंट्रल स्पांसर और कोर सेक्टर की योजनाओं में अधिक पैसा मिलता है तो सरकार के लिए बजट बढ़ाना भी आसान हो जाएगा. इस समय करीब 11 हजार करोड़ रुपए प्रदेश सरकार विकास योजनाओं पर खर्च कर रही है. सीएसएस में बजट बढ़ता है तो प्रदेश को अवस्थापना विकास से लेकर कल्याणकारी योजनाओं को अधिक लोगों तक पहुंचाने में आसानी होगी.
उत्तराखंड की मौजूदा स्थिति
प्रदेश में दो लाख से अधिक राज्य सरकार के कर्मचारी हैं, जिन्हें वेतन देने के लिए करोड़ों रुपए की जरूरत पड़ती है. ऐसे में डीए और महंगाई भत्ते की एक ही किश्त देने पर सरकार पर करोड़ों रुपए का अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ जाता है.
लॉकडाउन के कारण उत्तराखंड में सभी गतिविधियां बंद रहीं. उसके बाद आधी ताकत के साथ कार्य शुरू किए, जिससे सरकार को राजस्व का घाटा भी उठाना पड़ा था. अब कोरोना वैक्सीन आ चुकी है. ऐसे में सभी राजकीय, अर्द्ध राजकीय और निजी संस्थान पूरी शक्ति के साथ कार्य में जुट गए हैं. जिससे सरकार के राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी.
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उत्तराखंड सरकार ने मांगा ग्रीन बोनस
उत्तराखंड सरकार ने केंद्र से इस बार के बजट में ग्रीन बोनस और सीमांत क्षेत्रों के विकास के लिए अधिक धनराशि जारी करने की मांग की है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय राज्य वित्त मंत्री अनुराग ठाकुर से हुए बातचीत में उत्तराखंड के शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने ग्रीन बजट की मांग की है.
शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने ग्रीन बोनस पर जोर दिया और कहा कि उद्योगों के विस्तार की कीमत पर पर्यावरण की रक्षा करने के लिए उत्तराखंड को यह बोनस दिया जाना चाहिए. प्रदेश सरकार की ओर से पांच साल के लिए ग्रीन बोनस के रूप में 40 हजार करोड़ रुपए की मांग की जा रही है.
केंद्रीय बजट में प्रदेश सरकार की ओर जताई गई अपेक्षाएं
- स्प्रिचुअल इको जोन या नई केंद्र सहायतित स्पेशल आयुष जोन योजना के लिए धनराशि.
- प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में आवास निर्माण के तहत प्रति लाभार्थी 1.30 लाख रुपए की जगह दो लाख की सहायता राशि दी जाए.
- प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में पर्वतीय क्षेत्रों में 250 से अधिक आबादी की जगह 150 की आबादी वाले गांवों को सड़क की मंजूरी मिले.
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के तहत 35 प्रतिशत की सहायता राशि को बढ़ाकर 50 प्रतिशत किया जाए.
- स्वरोजगार के लिए दिए जाने वाले ऋण की धनराशि को दो लाख से बढ़ाकर तीन लाख किया जाए.
- गौरी कुंड से केदारनाथ, नैनीताल रोपवे, गोविंदघाट से हेमकुंड के लिए एक अलग केंद्र सहायतित योजना शुरू की जाए.
- छोटे उद्यमी को मेंटरिंग तथा हैंड होल्डिंग सपोर्ट के लिए रूरल बिजनेस इक्यूबेटर की स्थापना के लिए वित्तीय मदद दी जाए.
- मनरेगा में श्रम सामग्री अनुपात 60:40 के बजाय 50:50 किया जाए.
- वृद्धावस्था पेंशन प्रति लाभार्थी 200 रुपए की जगह 1000 रुपए की जाए.
- राष्ट्रीय खेलों के लिए वित्तीय सहायता दी जाए.
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यह बजट अर्थव्यवस्था के विकट हालातों वाले दौर से गुजरने के बीच पेश होगा. कोरोना महामारी की वजह से पूरी दुनिया में आर्थिक संकट है और भारतीय अर्थव्यवस्था के सामने भी कई चुनौतियां हैं. वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर माइनस 23.9 रही. उसके बाद यह माइनस साढ़े सात% रही थी. इसके चलते राजकोषीय घाटा बहुत ज्यादा है.
इकोनॉमिक सर्वे में वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी ग्रोथ 11 फीसदी रहने का अनुमान जताया है. वहीं, वित्तीय वर्ष 21 में वित्तीय घाटा लक्ष्य से ज्यादा रहने की संभावना है. सर्वे में वित्त वर्ष 2020-21 में GDP ग्रोथ -7.7 फीसदी रहने का अनुमान है. ऐसे में कारोबारियों की उम्मीदें बढ़ी हुई हैं. बजट में कटौती और नए टैक्स की बजाय राहत और रियायतों का पुलिंदा कारोबारी चाहते हैं. प्रदेश के कारोबारियों का कहना है कि केंद्र सरकार को बजट में निर्यात कारोबार से जुड़ी राहतें देनी चाहिए. यह घरेलू उत्पादन और रोजगार संभावनाओं को प्रोत्साहित करेगा. डयूटी ड्रॉ बैक के फायदे भी देने चाहिए.