देहरादून: पूर्व केंद्रीय मंत्री और पशु अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाली मेनका गांधी की ओर से हाल ही में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को एक पत्र लिखा गया है. उन्होंने उत्तराखंड शीप एंड वूल डेवलपमेंट बोर्ड के सीईओ डॉ. अविनाश आनंद पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं. साथ ही उन्होंने विभागीय सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े किए हैं. मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में मेनका गांधी ने सीबीआई, ईडी और सीबीसीआईडी से जांच कराने की मांग की है.
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जानकारी के लिए बता दें कि मेनका गांधी के मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में यह साफ कहा गया है कि उत्तराखंड शीप एंड वूल डेवलपमेंट बोर्ड के सीईओ डॉ अविनाश आनंद ने वर्ल्ड बैंक से 3,000 करोड़ का ऋण (लोन) लेकर इसका सीधे तौर पर दुरुपयोग किया है. इस लोन से विभागीय कार्य तो नहीं हुए लेकिन विभाग के निदेशक ने अपने लिए महंगी गाड़ी और नोएडा में आलीशान मकान जरूर ले लिया है.
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इसके अलावा विभागीय निदेशक की ओर से उत्तराखंड शीप बोर्ड में कई अधिकारियों की डेपुटेशन में नियुक्ति भी की गई जो अच्छा खासा वेतन ले रहे हैं, लेकिन उनके पास काम कुछ भी नहीं है. स्थिति कुछ ऐसी है कि जिस कंसलटेंट को रखा गया है उसका मासिक वेतन 2.5 लाख है.
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वहीं, विभागीय निदेशक पर आरोप लगाते हुए मेनका गांधी ने मटन स्कीम शुरू किए जाने पर भी सवाल खड़े किये. अपने पत्र में उन्होंने साफ तौर पर लिखा कि विभागीय निदेशक ने बकरों की मटन स्कीम शुरू कर निदेशालय को एक मीट की दुकान में तब्दील कर दिया है.
अविनाश आनंद पर आरोप
- नियम-कायदे ताक पर रखकर जिला योजना के पैसों से पशुओं के लिये पंजाब की फर्म से दोगुने दाम पर चारा खरीदा.
- शीप बोर्ड में बिना पद सृजन के डेपुटेशन पर कई अधिकारियों को तैनात किया. इस कारण कई पशु चिकित्सालय बंद हो गए. अधिकारी बिना काम के वेतन ले रहे हैं.
- ढाई लाख के वेतन पर एक कंसल्टेंट को नियुक्त किया गया है जिसका वेतन मुख्य सचिव से भी ज्यादा है.
- सीईओ ने ऑस्ट्रेलिया से जवान शीप के बजाय बूढ़ी भेड़ खरीदीं जिनसे ज्यादा प्रजनन संभव ही नहीं है.
- सीईओ ने बकरे का कच्चा मटन योनजा शुरू करके निदेशालय को मटन शॉप बना दिया है.
- 13 लाख की लग्जरी कार खरीद ली.
- नोएडा में आलीशान मकान खरीद लिया.
मेनका गांधी ने अपने पत्र में इस घोटाले को कोल आवंटन और बोफोर्स तोप घोटाले से भी बड़ा घपला बताया है. आइए हम आपको बताते हैं कि ये दोनों घोटाले क्या थे.
ये था कोल आवंटन घोटाला
कोयला आवंटन घोटाला भारत में राजनैतिक भ्रष्टाचार का एक बड़ा मामला हुआ था. इसमें नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) ने भारत सरकार पर आरोप लगाया था कि देश के कोयला भण्डार मनमाने तरीके से निजी एवं सरकारी आवंटित कर दिये गये. जिससे 2004 से 2009 के बीच ₹10,67,000 करोड़ की हानि हुई. 2014 को लोकसभा चुनाव में यूपीए के सत्ता से बाहर होने में इस कोल घोटाले को भी वजह माना गया.
ये था बोफोर्स घोटाला
राजीव गांधी सरकार ने मार्च 1986 में स्वीडन की एबी बोफोर्स से 400 तोपें खरीदने का करार किया था. 1,437 करोड़ रुपये के बोफोर्स तोप सौदे में कथित तौर पर 64 करोड़ रुपये की दलाली देने का आरोप था. राजीव गांधी का नाम बोफोर्स केस में आने का असर इतना था कि उन्हें इसकी वजह से सत्ता से बाहर होना पड़ा.