विधानसभा बैकडोर भर्ती मामले में वार और पलटवार. देहरादून/अल्मोड़ा:उत्तराखंड विधानसभा में हुई बैकडोर भर्तियों का मामला एक बार फिर से गरमाया गया है. सुप्रीम कोर्ट से बैक डोर से भर्ती हुए 228 लोगों की याचिका खारिज किए जाने के बाद इस मामले ने एक बार फिर तूल पकड़ लिया है. कांग्रेस के बड़े नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी पूर्व में विधानसभा अध्यक्ष रहे और वर्तमान की धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे की मांग की है. इस पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कांग्रेस को लपेटे में लिया है.
सुप्रीम कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद विधानसभा में की गई तदर्थ युक्तियों को लेकर नियुक्तिकर्ता के खिलाफ एक्शन की मांग तेज हो गई है. ऐसे में महेंद्र भट्ट का कहना है कि उत्तराखंड विधानसभा में राज्य गठन के बाद से ही तदर्थ नियुक्तियां होती आ रही हैं. सबसे पहले विधानसभा अध्यक्ष स्वर्गीय प्रकाश पंत थे. जो कि अब इस दुनिया में नहीं है. उसके बाद विधानसभा अध्यक्ष यशपाल आर्य रहे हैं. वर्तमान में वह कांग्रेस के बड़े नेता होने के साथ-साथ विधानसभा में कांग्रेस की तरफ से नेता प्रतिपक्ष भी है.
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इसके बाद तीसरे अध्यक्ष रूप में विधानसभा में स्वर्गीय हरिवंश कपूर अध्यक्ष थे ओर वो आज हम सब के बीच नहीं रहे. चौथे अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल जो कि कांग्रेस के बड़े नेता हैं. उसके बाद प्रेमचंद अग्रवाल अध्यक्ष रहे. इन सभी विधानसभा अध्यक्षों के कार्यकाल में तदर्थ नियुक्तियां हुई हैं. उस हिसाब से विधानसभा अध्यक्ष के रूप में रहे प्रेमचंद अग्रवाल से पहले कांग्रेस के नेता गोविंद सिंह कुंजवाल और वर्तमान में कैबिनेट का दर्जा प्राप्त नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य पर कार्रवाई होनी चाहिए.
नियुक्ति देने वालों पर हो कार्रवाई:पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविन्द सिंह कुुंजवाल ने विधानसभा से तदर्थ कर्मचारियों की बर्खास्तगी पर सवाल उठाया है. कुंजवाल ने कर्मचारियों की बर्खास्तगी को एकतरफा बताते हुए नियुक्तिकर्ता पर भी कार्रवाई की मांग की है. कुंजवाल ने कहा कि कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया है, तो उनको नियुक्ति देने वाले पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
उन्होंने कहा कि मेरे और अन्य स्पीकर के खिलाफ जांच होनी चाहिए. अगर में गोविन्द सिंह कुंजवाल आरोपी घोषित होता हूं तो मैं जेल जाने के लिए तैयार हूं. कुंजवाल ने कहा कि विधानसभा ने मामले की जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी की टीम गठित की थी. एक्सपर्ट कमेटी ने साफ किया कि राज्य बनने के बाद विधानसभा में सभी नियुक्तियां गलत हैं. ऐसे में मेरे द्वारा जिन कर्मचारियों को नियमित किया गया मेरे खिलाफ इस मामले पर कार्रवाई होनी चाहिए.