देहरादून: उत्तराखंड वक्फ बोर्ड (Uttarakhand Waqf Board) के अधीन आने वाले सभी मदरसों का धामी सरकार ने भी योगी सरकार की तरह सर्वे करने का फैसला लिया है. वहीं, धामी सरकार (Dhami government ) के इस फैसले का मदरसों ने खुले दिल से स्वागत किया है. वहीं, मदरसा संचालकों का कहना है कि अगर सरकार की नीयत साफ है तो, उन्हें कोई समस्या नहीं है.
उत्तराखंड में भी उत्तर प्रदेश की तर्ज पर धामी सरकार ने मदरसों में सर्वे कराने का फैसला लिया (Dhami government decided to survey in madrasas) है. जिसको लेकर राजनीतिक दलों के बीच सियासी तनातनी शुरू हो गई है. वहीं, मदरसा संचालकों ने सरकार के इस फैसले का खुलकर स्वागत किया है. मदरसा संचालकों ने कहा कि सरकार अगर साफ नीयत के साथ मदरसों का सर्वे करना चाहती है तो, यह कदम स्वागत योग्य है.
मदरसों के सर्वेक्षण का संचालकों ने किया स्वागत मदरसा संचालकों का कहना है कि सरकार अगर मदरसों पर ध्यान देगी तो निश्चित तौर से उसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिलेंगे. बजाय इसके कि केवल सर्वे किया जाए. उन्होंने कहा कि सरकार को मदरसों के बदहाल हालातों का भी संज्ञान लेना चाहिए. उत्तराखंड वक्फ बोर्ड द्वारा संचालित मदरसों (Madrasa run by Uttarakhand Waqf Board) में पिछले लंबे समय से फंडिंग नहीं हुई है. सरकार अगर कोई कदम उठाती है तो उन्हें उम्मीद है कि इस दिशा में बेहतर काम होगा.
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मदरसा इमदादुल उलूम के नाजिम शराफत हुसैन ने ईटीवी भारत से कहा कि वह सरकार के इस कदम का स्वागत करते हैं. बशर्ते सरकार की मंशा और नीयत साफ होनी चाहिए. आज मदरसों में कई सारी समस्याएं हैं और संसाधनों का अभाव है. निश्चित तौर से सरकार अगर मदरसों की तरफ ध्यान देती है तो उन्हें उम्मीद है कि यहां की व्यवस्थाएं भी बहाल हो पाएंगी.
इमदादुल उलूम मदरसे के सचिव अरशद खान ने कहा कि 2014 के बाद मदरसों में सरकार की तरफ से आने वाली मदद रुकी हुई है. कई जगहों पर लंबे समय से कोई फंड जारी नहीं हुआ है. उन्हें उम्मीद है कि सरकार अब इस दिशा में भी कोई सार्थक पहल करेगी. मदरसों में भी लगातार रिफॉर्म की जरूरत है. जिसे लेकर सरकार अगर कदम उठाती है तो यह मुस्लिम समुदाय और आने वाली जमात के लिए एक बेहतर कदम होगा.