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उत्तराखंड के पर्यटन व्यवसाय पर तिहरी मार, कुंभ, चारधाम के बाद कांवड़ यात्रा रद्द

पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) सरकार ने इस साल होने वाली कांवड़ यात्रा रद्द कर दी है. कांवड़ यात्रा रद्द होने से उत्तराखंड को तिहरी मार लगी है. पहले कुंभ सूक्ष्म हुआ, फिर चारधाम यात्रा रद्द की गई और अब धामी सरकार ने कांवड़ यात्रा रद्द करने का फैसला लिया है.

Pushkar Dhami government canceled Kanwar Yatra
देहरादून

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Published : Jul 13, 2021, 10:34 PM IST

देहरादून: कोरोना महामारी और तीसरी लहर (Corona Third Wave) की आशंका को देखते हुए उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) सरकार ने इस साल होने वाली कांवड़ यात्रा रद्द कर दी है.

कांवड़ यात्रा रद्द होने से उत्तराखंड को तिहरी मार लगी है. पहले कुंभ सूक्ष्म हुआ, फिर चारधाम यात्रा रद्द की गई और अब धामी सरकार ने कांवड़ यात्रा रद्द करने का फैसला लिया है. उत्तराखंड सरकार ने पिछले साल की तरह इस साल भी कांवड़ यात्रा को रद्द कर दिया है. वैश्विक महामारी कोरोना के संक्रमण की वजह से पिछले साल भी कांवड़ यात्रा संचालित नहीं हो सकी थी.

चारधाम के बाद कांवड़ यात्रा से होने वाले कारोबार को कोरोना का करंट लगा है. दरअसल, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सावन के महीने में भगवान शिव हरिद्वार के कनखल स्थित दक्ष मंदिर में विराजते हैं. इसे दक्ष प्रजापति मंदिर भी कहा जाता है. मंदिर के बीचोंबीच भगवान शिव की मूर्ति स्‍थापित है. इस मंदिर में भगवान विष्णु के पांव के निशान भी बने हैं. सावन के महीने में पूरे देश से लोग यहां पहुंचते हैं. मान्‍यता है कि इस समय यहां जल चढ़ाकर महादेव को खुश किया जा सकता है. इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

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वहीं, हरिद्वार के व्यापारी लंबे समय से कांवड़ यात्रा संचालित करने की मांग कर रहे हैं, क्योंकि पिछले साल भी कांवड़ यात्रा संचालित नहीं होने और वैश्विक महामारी के चलते लागू कोरोना कर्फ्यू से काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. हिन्दू के साथ-साथ मुस्लिम लोगों को भी यात्रा रद्द होने से झटका लगा है. कांवड़ मुस्लिम समाज ही बनाता है. उत्तराखंड के लगभग 1100 परिवार इस यात्रा का साल भर इंतजार करता है.

दो साल से कांवड़ यात्रा न होने के कारण लगभग 1 हजार करोड़ रुपए के नुकसान की संभावना जताई जा रही है. वहीं, हाईकोर्ट भी धार्मिक आयोजनों पर नजर बनाए हुए है और सरकार से लगातार जवाब तलब कर रहा है. ऐसे में हरिद्वार कुंभ में लगे आक्षेप के बाद सरकार कोई रिस्क नहीं लेना चाहती थी.

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