उत्तराखंड

uttarakhand

ETV Bharat / state

लखवाड़-व्यासी बांध परियोजना: सिर्फ यादों में रह जाएगा लोहारी गांव, 'विकास' के आगे हारे ग्रामीण

प्रशासन ने लखवाड़-व्यासी बांध परियोजना से प्रभावित लोहारी गांव को 48 घंटे में खाली करने का नोटिस ग्रामीणों को दिया था. जिसके बाद लोहारी गांव को खाली करवा दिया गया है. गांव में करीब 90 परिवार निवास करते थे. परियोजना से आसपास के 6 गांवों के करीब 334 परिवार प्रभावित हो रहे हैं. वहीं, लोहारी गांव की समस्या को लेकर प्रीतम सिंह ने सीएम धामी से मुलाकात की है.

Lakhwad-Vyasi Dam Project
लखवाड़-व्यासी बांध परियोजना

By

Published : Apr 10, 2022, 10:05 PM IST

Updated : Apr 10, 2022, 10:37 PM IST

देहरादून:प्रशासन ने लखवाड़-व्यासी बांध परियोजना के डूब क्षेत्र में आने वाले विकासनगर के लोहारी गांव को खाली करवा दिया है. इस गांव में 90 परिवार रहते थे, जो अपने पैतृक गांव को छोड़ने के कारण बेहद ही परेशान हैं. अब ये गांव जलमग्न हो जाएगा. लोहारी गांव के 90 परिवारों को गांव खाली करने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया था. प्रशासन की इस लालफीताशाही के कारण अपने गांव को छोड़ने का दर्द यहां के बाशिंदों के चेहरों पर साफ देखा जा सकता है. वहीं, लोहारी गांव की समस्या को लेकर प्रीतम सिंह ने सीएम धामी से मुलाकात की और लखवाड़-व्यासी परियोजना को लेकर लोहारी के लोगों को विस्थापन के लिए पर्याप्त समय देने की मांग की है.

'आज मेरा आशियाना छीन लिया गया, मैं बेबस खड़ा देखता रहा और मेरा ठिकाना छीन लिया गया'. वैसे किसी परियोजना में जब कोई गांव डूबता है, तो वह अकेले नहीं डूबता. उसके साथ डूब जाती है, पूरी संस्कृति, सभ्यता और न जाने कितनी अगिनत यादें. लोहारी गांव के लोगों की आखों से बहते आंसू इस बात की तस्दीक कर रहे हैं. कैसे अपनी थाती और माटी को छोड़ने के लिए उन्हें मजबूर किया जा रहा है. ग्रामीणों की बेबस आंखों में विस्थापन और अपनी मातृभूमि को छोड़ने का दर्द साफ झलक रहा है.

सिर्फ यादों में रह जाएगा लोहारी गांव, 'विकास' के आगे हारे ग्रामीण

बता दें कि इस लखवाड़-व्यासी परियोजना से आसपास के 6 गांवों के करीब 334 परिवार प्रभावित हो रहे हैं. जिसमें लोहारी के ये 90 परिवार भी हैं. लोहारी गांव एक बड़ा जनजातीय आबादी वाला गांव है. जिसमें जौनसार-भाबर की अनूठी संस्कृति और परंपरा रचती बसती है. ऐसे में यहां के बाशिंदों को एक और चिंता खाए जा रही है कि कैसे इतने कम समय में वह अपना नया आशियाना ढूंढेंगे?
ये भी पढ़ेंःशारदा सागर डैम का पानी घुसने से दर्जनभर गांव जलमग्न, दाने-दाने के लिए मोहताज ग्रामीण

लोहारी के ग्रामीण रुंधे गले से खेतों पर लगाए गए पीले निशान को देखते हुए बताते हैं कि यह 626 मीटर का स्तर दर्शाता है. यहां तक पानी चढ़ने पर उनके खेत डूब जाएंगे. 631 मीटर पर पूरा गांव डूब जाएगा. बेहद सुंदर-पर्वतीय शैली में लकड़ियों से बने मकान भी झील में समा जाएंगे, जिससे एक पूरी सभ्यता डूब जाएगी.

लोहारी गांव लखवाड़ और व्यासी दोनों परियोजनाओं से प्रभावित हो रहा है. लखवाड़-व्यासी परियोजना के लिए वर्ष 1972 में सरकार और ग्रामीणों के बीच जमीन अधिग्रहण का समझौता हुआ था. 1977-1989 के बीच गांव की 8,495 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जा चुकी है. जबकि लखवाड़ परियोजना के लिए करीब 9 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया जाना बाकी है.

Last Updated : Apr 10, 2022, 10:37 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details