देहरादूनः वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से बचाव को लेकर लागू देशव्यापी लॉकडाउन से जहां एक ओर आम जनता और देश की आर्थिकी को बड़ा नुकसान पहुंचा है. वहीं, दूसरी ओर प्रकृति पर इसका परिवर्तन भी देखने को मिला है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस आपदा से कुछ नहीं सीखे तो प्रकृति में आए इस परिवर्तन का फायदा ज्यादा दिनों तक नजर नहीं आएगा. आखिर प्रकृति के इस परिवर्तन से कैसे आर्थिक लाभ पहुंचा है और क्यों प्रकृति में आया परिवर्तन ज्यादा दिनों तक नजर नहीं आएगा? देखिए ETV Bharat की स्पेशल रिपोर्ट.
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने संपूर्ण लॉकडाउन किया था. उस दौरान आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों और दुकानों को छोड़ सभी लोग घरों में कैद हो गए थे. जिसका सीधा असर प्रकृति-पर्यावरण पर देखने को मिला. लॉकडाउन के दौरान पर्यावरण ना सिर्फ पूरी तरह से स्वच्छ हो गया, बल्कि गंगा भी पूरी तरह से साफ और पारदर्शी हो गई. इतना ही नहीं इस बार फायर सीजन में भी जंगलों में आगजनी की मामले काफी कम दर्ज किए गए हैं.
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कुछ ही समय तक बरकरार रहेगा प्रकृति में आया परिवर्तन
लॉकडाउन की वजह से प्रकृति में आया परिवर्तन कुछ ही समय तक रहेगा. जी हां, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिक प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया कि लॉकडाउन के चलते उत्तराखंड समेत अन्य जगहों का हाइड्रोलॉजिकल सिस्टम इम्प्रूव तो हो गया है, लेकिन प्रकृति में आए इस परिवर्तन का असर ज्यादा समय तक दिखाई नहीं देगा.
हालांकि, इस लॉकडाउन का फायदा यह हुआ है कि हाइड्रोलॉजिकल सिस्टम में सुधार हो गया है. ऐसे में अब पृथ्वी और पर्यावरण की लिमिट्स को समझने की जरूरत है. साथ ही बताया कि हाइड्रोलॉजिकल सिस्टम अलग-अलग जगह पर अलग-अलग तरीके से व्यवहार करता है, जिसका समाधान भी अलग-अलग हैं.