देहरादून: कोरोना वायरस के संक्रमण ने देश दुनिया में यूं तो लोगों की जिंदगियों को ही आफत में डाल दिया है, लेकिन महामारी की दस्तक ने कई दूसरे जोखिम भी पैदा कर दिए हैं. खासतौर पर असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए कोविड-19 ने भुखमरी के हालात बना दिये हैं. हालांकि सरकारें इन हालातों को बदलने की कोशिशों में जुटी हुई हैं. असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को लेकर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...
देश में असंगठित क्षेत्र का मजदूर अपने भविष्य को लेकर आशंकित है. उत्तराखंड में कुल श्रमिकों का 90 फीसदी श्रमिक असंगठित क्षेत्र का ही है. लिहाजा राज्य में श्रमिकों की एक बड़ी संख्या लाचार है. चिंता की बात ये है कि प्रदेश सरकार को असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की सही संख्या तक का बोध नहीं है. जाहिर है कि ऐसे हालात में सरकार अनुमान के आधार पर ही राहत देने का प्रयास कर रही है.
वैसे अनुमानत: पांच लाख से ज्यादा असंगठित क्षेत्र के श्रमिक प्रदेश में मौजूद हैं. जबकि रजिस्टर्ड श्रमिकों की संख्या 2,36,000 के करीब है. उत्तराखंड सरकार में श्रम मंत्री हरक सिंह रावत की मानें तो दो लाख श्रमिकों के खाते में 2,000 रुपये सरकार की तरफ से डाले गए हैं, जबकि जिन श्रमिकों के श्रम कार्ड नहीं बने हैं उनको ऑनलाइन कार्ड भी मुहैया करवाए गए हैं. जिन श्रमिकों के पास राशन कार्ड नहीं हैं उन्हें भी राशन दिया जा रहा है. जिनके पास खाना बनाने की व्यवस्था नहीं है उन्हें खाने के पैकेट बांटे जा रहे हैं.
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उत्तराखंड में श्रमिकों की मदद करने के मकसद से राशन की आपूर्ति समेत अन्य योजनाओं का लाभ तो दिया जा रहा है लेकिन अब भी कई प्रदेश या बाहर के श्रमिक इन सहूलियतों से महरूम हैं. ऐसे में जिन्हें सुविधाएं नहीं मिल पा रहीं वो सरकार से आपूर्ति बेहतर करने की मांग कर रहे हैं तो सरकार की सहायता पाने वाले लोग सरकार का शुक्रिया भी कर रहे हैं.