देहरादून: 'भिक्षा नहीं, शिक्षा दें' थीम के साथ उत्तराखंड पुलिस द्वारा राज्य में चलाए जा रहे ऑपरेशन मुक्ति अभियान में अब लीलाधर कल्याण समिति भी उन असहाय गरीब तबके के बच्चों के उत्थान में अपना महत्वपूर्ण सहयोग देगी, जो गरीबी के कारण सड़कों पर भिक्षा मांगने को मजूबर हैं. इसके लिए बाकायदा गुरुवार को पुलिस मुख्यालय में लीलाधर संस्था के चेयरमैन राजेश भट्ट द्वारा उत्तराखंड पुलिस के साथ एक एमओयू साइन हुआ.
ऐसे में उत्तराखंड पुलिस द्वारा प्रदेश भर में चलाए जा रहे ऑपरेशन मुक्ति में लीलाधर समिति आने वाले दिनों में महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आ सकता है. गुरुवार को पुलिस मुख्यालय में डीजीपी अशोक कुमार द्वारा प्रदेशभर के पुलिस आलाधिकारियों, लीलाधर कल्याण समिति संचालकों को सहित संबंधित जिलों के प्रभारियों के साथ एक विशेष गोष्टी की गई जिसमें ऑपरेशन मुक्ति अभियान को सफल बनाने को लेकर नए सिरे से रणनीति तैयार की गई.
ऑपरेशन मुक्ति में लीलाधर समिति करेगी सहयोग 2017 से अब तक लगभग 6 हज़ार बच्चों को ऑपरेशन मुक्ति में जोड़ा गया: बता दें कि उत्तराखंड पुलिस के द्वारा ‘भिक्षा नहीं, शिक्षा दें’ थीम के साथ वर्ष 2017 में ‘ऑपरेशन मुक्ति‘ अभियान प्रारंभ किया गया था. इस अभियान के अन्तर्गत अभी तक 5,997 बच्चों का सत्यापन किया गया. इनमें से अभियान के दौरान 5,864 बच्चों को उनके परिजनों के सुपुर्द किया गया. वहीं प्राथमिकता के आधार पर 2,149 बच्चों को उनकी आवश्यकता को देखते हुए स्कूलों/डे केयर होम में दाखिला दिलवाया गया. जिनमें से वर्तमान समय में 1394 बच्चे ही स्कूल जा रहे हैं. वहीं किन्हीं कारणों से स्कूलों से ड्रॉप हो रहे बच्चों की शिक्षा व उत्थान के लिए अब लीलाधर मेमोरियल कल्याण समिति भी उत्तराखंड पुलिस के साथ सहयोग करेगी.
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पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार के अनुसार उत्तराखंड पुलिस के द्वारा चलाये जा रहे ‘ऑपरेशन मुक्ति‘ अभियान का मुख्य उद्देश्य विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं के साथ एकीकृत अभियान चलाकर बच्चों को भिक्षावृत्ति से मुक्त करवाकर शिक्षा के लिए प्रेरित करना है. इस अभियान के प्रथम चरण में देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल, उधम सिंह नगर में बच्चों के चिन्हीकरण के साथ अभियान की शुरुआत की गई. दूसरे चरण में राज्य में सभी जनपदों के स्कूल कॉलेजों, सिनेमाघरों, रेलवे स्टेशन, मुख्य चौराहों पर नुक्कड़ नाटक, बैनर पोस्टर जैसे विभिन्न माध्यमों से जागरूकता अभियान चलाया गया. तीसरे चरण में भिक्षावृत्ति कर रहे बच्चों के माता-पिता की काउंसलिंग की गई एवं उन बच्चों को भिक्षावृत्ति से मुक्त करवाकर अलग-अलग स्कूलों में भर्ती किया गया है.