देहरादून:सूबे की राजधानी देहरादून में पिछले तीन सालों से मेट्रो रेल प्रोजेक्ट पर ग्रहण लगा हुआ है. अब ऐसे में मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के बाद अब उसके विकल्प तौर पर तैयार किया गया लाइट रेल ट्रांसपोर्ट सिस्टम (LRTS) प्रोजेक्ट भी काफी हद खटाई में पड़ता नजर आ रहा है. जबकि, LRTS प्रोजेक्ट की डीपीआर को कई संसोधन के बाद DMRC द्वारा अंतिम रूप में तैयार किया जा चुका था. लेकिन प्रदेश सरकार की हीलाहवाली के चलते ये प्रोजेक्ट भी अधर में लटकता नजर आ रहा है. क्योंकि सरकार इस प्रोजेक्ट को दरकिनार कर रोप-वे प्रोजेक्ट पर विचार कर रही है.
बता दें कि उत्तराखंड शासन द्वारा LRTS प्रोजेक्ट की डीपीआर पर उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा शासन को प्रस्तुत करने से पहले ही होल्ड पर रख दिया गया है. जानकारी के मुताबिक, इन सभी रेल प्रोजेक्ट्स को दरकिनार कर अब सरकार रोप-वे जैसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर उत्तराखंड शासन की सुई अटक गई है. दरअसल, LRTS प्रोजेक्ट को लेकर अब गेंद मुख्यमंत्री के पाले में है कि मेट्रो और उससे मिलते-जुलते प्रोजेक्ट में किसे प्राथमिकता में रखा जाए.
उत्तराखंड मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के आला अधिकारियों की मानें तो 23 मई आचार संहिता हटने के बाद राज्य सरकार मेट्रो रेल के विकल्प के तौर पर एलआरटीएस पब्लिक ट्रांसपोर्ट या अन्य योजना पर कोई अंतिम फैसला ले सकती है. लाइट रेल ट्रांजिट सिस्टम के लिए 13 सदस्यों की टीम ने अपनी रिपोर्ट में भरी थी. विकल्प के तौर पर काफी समय से चर्चा में आये लाइट रेल ट्रांजिट (LRT) प्रोजेक्ट को लेकर साल 2018 में मौजूद चार विधायकों व शासन आलाधिकारियों सहित उत्तराखंड मेट्रो कॉरपोरेशन के 13 अफसरों ने यूरोप का दौरा किया था. जिसके बाद इस टीम ने एक रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री को सौंपी थी.