देहरादून: उत्तराखंड में 2022 के विधानसभा चुनाव में वामपंथी पार्टियां संयुक्त रुप से चुनावी मैदान में उतरेंगी. बुधवार को उत्तराखंड की तीन वामपंथी पार्टियों भाकपा, माकपा और भाकपा माले ने बैठक कर यह निर्णय लिया. तीनों वामपंथी पार्टियां संयुक्त रूप से भाजपा को हराओ और वाम विपक्ष का निर्माण करो के नारे के बीच चुनावी समर में उतरेंगी.
वामपंथी पार्टियों ने आगामी में 27 सितंबर को संयुक्त किसान मोर्चा के भारत बंद का समर्थन किया है. यह घोषणा आज भाजपा राज्य सचिव समर भंडारी, माकपा राज्य सचिव राजेंद्र सिंह नेगी और भाकपा माले के राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने संयुक्त रूप से की है. इस दौरान भाकपा राज्य सचिव समर भंडारी ने कहा उत्तराखंड राज्य में विगत 20 वर्षों में भाजपा और कांग्रेस बारी-बारी से लूट खसोट की राजनीति करती आ रही है. इस पर अंकुश लगाने के लिए कारगर विपक्ष का नितांत अभाव रहा है जो कि स्वस्थ लोकतंत्र के लिए बहुत जरूरी है.
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उन्होंने कहा केंद्र में आसीन मोदी सरकार के विध्वंस राजनीति के चलते बीते साढ़े 4 साल उत्तराखंड के लिए विनाशकारी साबित हुए हैं. 2018 का भूमि संशोधन कानून और ऑल वेदर रोड इसके ठोस उदाहरण है. समर भंडारी का कहना है कि प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी, महंगाई, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं की जर्जर स्थिति से आम जनमानस का जीना दूभर हो गया है. जिसको देखते हुए वामपंथी पार्टियां 2022 के चुनाव में चुनाव में संयुक्त रूप से उतरने जा रही हैं. साथ ही यह प्रयास किया जाएगा कि राज्य समर्थक, जन पक्षधर, प्रगतिशील और धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एकजुट किया जा सके.
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वामपंथी दलों ने संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा मोदी सरकार के किसान मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ आगामी 27 सितंबर के भारत बंद को सफल बनाने का भी आह्वान किया. वाम पार्टियों के नेताओं का कहना है कि आगामी 27 तारीख के इस बंद को सफल बनाने के लिए सभी वाम पार्टियां पूरी ताकत के साथ उतरेंगे.