देहरादून:कारगिल शहीदों के शौर्य और पराक्रम की अनगिनत कहानियां और किस्से हैं, जो समय-समय पर उनके बलिदान की याद दिलाते हैं. ऐसी ही एक कहानी नागा रेजीमेंट के जांबाज शहीद राजेश गुरुंग की भी है. राजेश गुरुंग 6 जुलाई 1999 को अपने सात साथियों के साथ टाइगर हिल पर पाकिस्तानी सैनिकों से लोहा लेते हुए शहीद हो गये थे. राजेश की देश सेवा और जज्बे का अंदाजा उनकी लिखी आखिरी चिट्ठी से लगाया जा सकता है. बीस साल बाद भी राजेश की ये चिट्ठी शरीर में सिहरन पैदा करने वाली है.
राजेश गुरुंग का जन्म 3 मई 1975 को हुआ. उनके पिता भी सेना में थे. यही वजह थी कि देश भक्ति उनके खून में ही मौजूद थी. बचपन से राजेश गुरंग का पढ़ाई से ज्यादा खेलकूद में मन लगता था. पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कई बार आर्मी में भर्ती होने की कोशिश की, मगर वह हर बार असफल हुए. फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. राजेश गुरुंग ने बिना आर्मी में भर्ती हुए ही गढ़वाल रेजीमेंट के हेडक्वार्टर लैंसडाउन की मैस में 3 महीने काम किया. इसी दौरान राजेश ने कोटद्वार के लैंसडाउन में ही भर्ती में हिस्सा लिया. इस बार राजेश गुरुंग सेना में भर्ती होने में सफल रहे. वो 12 जुलाई 1994 को सेना में शामिल हुए, जिसके 5 साल बाद ही राजेश टाइगर हिल पर विरोधियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गये.
कारगिल की कहानी
कारगिल युद्ध के दौरान टाइगर हिल पर दुश्मनों के कब्जे वाली अपनी चौकियों को वापस पाने के लिए भारतीय सेना ने टाइगर हिल पर चढ़ाई की थी. इसमें सबसे आगे सेकेंड नागा रेजीमेंट की पहली टुकड़ी के 8 जवान थे, जिनमें राजेश गुरंग भी शामिल थे. कई हफ्तों तक चले इस ऑपरेशन के दौरान टाइगर हिल पर राजेश गुरुंग और उनके साथी दुश्मनों से लड़ते रहे. जब उन्हें यह एहसास हुआ कि अबकी बार लड़ाई आर-पार की है तो उन्होंने अपने आखिरी समय में घर वालों को एक चिट्ठी लिखी, जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़ के नहीं देखा. शहादत के कई सालों बाद भी राजेश की ये चिट्ठी उनके होने का एहसास दिलाती है.
शहीद होने से पहले राजेश गुरुंग की चिट्ठी
सेकेंड नागा रेजीमेंट के जवान, आर्मी नंबर 1470 2915, सिपाही राजेश गुरुंग, मौत से सीधा मुकाबला करने जा रहे राजेश गुरुंग के आखिरी पलों की ये चिट्ठी उनके देश प्रेम के साथ ही परिवार के प्रति उनकी जिम्मेदारी को दर्शाते हैं. अपनी चिट्ठी में शहीद राजेश अपने मां- पिता को प्रणाम करते हुए घर में सभी के ठीक होने की कामना करते हैं.