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जल शक्ति मंत्रालय के वित्त समिति से लखवाड़ परियोजना को मिली स्वीकृति - ऊर्जा मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत

लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना 300 मेगावाट योजना को केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की व्यय वित्त समिति से स्वीकृति मिल गई है.

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लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना को जल शक्ति मंत्रालय की वित्त समिति से मिली स्वीकृति

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Published : Sep 22, 2021, 10:49 PM IST

देहरादून: उत्तराखंड सरकार के ऊर्जा मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की मेहनत आखिरकार दिल्ली में रंग ला ही गई. लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना 300 मेगावाट योजना केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की व्यय वित्त समिति में पास हो गया.

राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के निर्देशानुसार पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से पुनरीक्षित पर्यावरण स्वीकृति 2 फरवरी 2021 को ही प्राप्त हो गई थी. जिसके पश्चात जल शक्ति मंत्रालय की व्यय वित्त समिति से इस योजना को स्वीकृति प्रदान कर दी है.

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जल शक्ति मंत्रालय की व्यय वित्त समिति द्वारा लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना के पास हो जाने के बाद ऊर्जा मंत्री डॉ हरक सिंह रावत ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से भेंट की. इस दौरान उन्होंने जल शक्ति मंत्री का धन्यवाद ज्ञापित किया. उन्होंनें उत्तराखंड की जनता की ओर से जल शक्ति मंत्री का आभार प्रकट भी किया.

लखवाड़ बहुउद्देशीय परियोजना में कब क्या हुआ:जनपद देहरादून एवं टिहरी में यमुना नदी पर स्थित 300 मेगावाट क्षमता की लखवाड़ बहुद्देशीय जल विद्युत परियोजना को सन 1976 में स्वीकृत किया गया था. कार्य प्रारंभ होने के पश्चात सन 1992 में उक्त परियोजना के कार्यों को बंद कर देना पड़ा था.

उत्तराखंड राज्य के निर्माण के बाद लखवाड़ परियोजना के महत्व को देखते हुए इसको पूर्ण करने हेतु पुनः कार्य प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया. लखवाड़ परियोजना एक बहुद्देशीय परियोजना है जिससे देश एवं प्रदेश को सिंचाई, विद्युत एवं पेयजल उपलब्ध होगा.

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परियोजना के महत्व को देखते हुए भारत सरकार द्वारा इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया है. परियोजना के जल घटक की 90% लागत भारत सरकार अनुदान के रूप में देगी. परियोजना के जल घटक से उत्तराखंड, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा तथा हिमाचल प्रदेश लाभान्वित होंगे. उक्त राज्यों के मध्य जल प्रवाह हेतु अगस्त 2018 में अनुबंध हो चुका है.

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जुलाई 2018 के आधार पर परियोजना की पुनरीक्षित लागत 5747 करोड़ रुपए है. जल घटक की लागत 4673 करोड़ रुपए है. जिसका 90 प्रतिशत व्यय भारत सरकार द्वारा एवं 10 प्रतिशत लाभान्वित होने वाले राज्यों द्वारा वहन किया जाएगा. विद्युत घटक की लागत 1074 करोड़ रुपए है.

परियोजना को फरवरी 2021 में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पर्यावरणीय स्वीकृति प्रदान की जा चुकी है. परियोजना पूर्ण होने के उपरांत 573 मिलियन यूनिट वार्षिक विद्युत उत्पादन किया जाएगा.

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