देहरादून:कुंभ में कोविड जांच घोटाला मामले में हर दिन नये खुलासे हो रहे हैं. ताजा खुलासा फर्जीवाड़े में शामिल कंपनी मैक्स कॉरपोरेट सर्विस के मालिक से जुड़ा हुआ है, जिनकी बीजेपी नेताओं के साथ तस्वीरें आजकल सोशल मीडिया पर वायरल रही हैं. वहीं, इसे लेकर विपक्ष भी अब हमलावर मोड में आ गया है.
महाकुंभ घोटाले से जुड़े फर्जी कोविड टेस्टकराने वाली कंपनी के मालिक की तस्वीरें भाजपा के कई बड़े नेताओं के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं. ऐसे में भाजपा का खुद को पाक साफ बताना कहीं न कहीं गले नहीं उतर रहा है. कुंभ में हुए कोविड टेस्ट फर्जीवाड़े को लेकर जहां एक तरफ पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस मामले की उच्च स्तरीय जांच एक रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कराने की मांग की है तो वहीं वर्तमान मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने इस पर अपना पल्ला झाड़ दिया है. मगर हाल ही में जो तस्वीरें शोसल मीडिया पर वायरल हो रही हैं वो कुछ और बयां कर रही हैं.
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कुंभ कोविड टेस्ट फर्जीवाड़ा मामले में फर्जी कोविड टेस्ट करने वाली आरोपी कंपनी मैक्स कॉरपोरेट सर्विसेज में पार्टनर शरद पंत को कुमाऊं क्षेत्र का बताया जा रहा है. वे अल्मोड़ा जिले की द्वाराहाट विधानसभा में काफी सक्रिय बताए जा जाते हैं. शरद पंत की नजदीकियां भाजपा के कई नेताओं से है. सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें भाजपा के केंद्रीय नेताओं के साथ वायरल हो रही हैं. यहां तक मुख्यमंत्री तीरथ रावत और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ भी शरद पंत की तस्वीरें हल्ला मचा रही हैं.
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बता दें इस मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी या फिर बड़ी कार्रवाई नहीं हुई है. हालांकि, अगर बयानों की बात करें तो बीते रोज पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने बयान दिया था कि किसी की तस्वीर किसी भी नेता के साथ हो उससे फर्क नहीं पड़ता, जो आरोपी होगा उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए.
अनुराग ठाकुर और नरेंद्र सिंह तोमर के साथ शरद वहीं, ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कांग्रेस की वरिष्ठ नेता गरिमा दसौनी ने कहा है कि कुंभ में हुए इस फर्जीवाड़े से भाजपा ने मां गंगा और महाकुंभ की गरिमा को दागदार किया है.
क्या है मामला
बता दें कि कुंभ मेला 2021 के दौरान हरिद्वार आने वाले श्रद्धालुओं की एक प्राइवेट लैब द्वारा की गई कोरोना जांच अब सवालों के घेरे में आ गई है. क्योंकि कुंभ मेले के दौरान किए गए 1 लाख कोरोना टेस्ट रिपोर्ट फर्जी मिले हैं. प्राइवेट लैब द्वारा फर्जी तरीके से श्रद्धालुओं की जांच कर कुंभ मेला प्रशासन को लाखों रुपए का चूना लगाने का प्रयास किया गया है. इस प्राइवेट लैब द्वारा एक ही फोन नंबर को कई श्रद्धालुओं की जांच रिपोर्ट में डाला गया है.
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यही नहीं, कई जांच रिपोर्ट में एक ही आधार नंबर का इस्तेमाल किया गया है. वहीं, एक ही घर से सैकड़ों लोगों की जांच का मामला भी सामने आया है, जो असंभव सा लगता है, क्योंकि सैकड़ों लोगों की रिपोर्ट में घर का एक ही पता डाला गया है. इस मामले में हरिद्वार जिलाधिकारी सी रविशंकर ने जांच कमेटी का गठन कर 15 दिन में रिपोर्ट पेश के आदेश दिए थे.
ऐसा हुआ था खुलासा
हरिद्वार कुंभ में हुए टेस्ट के घपले का खुलासा पंजाब के रहने वाले एक एलआईसी एजेंट (LIC Agent) के माध्यम से हुआ है. पंजाब के फरीदकोट के रहने वाले एक शख्स विपन मित्तल ने हरिद्वार कुंभ में कोविड जांच घोटाले की पोल खोली. विपन मित्तल के मुताबिक उन्हें उत्तराखंड की एक लैब से फोन आया था, जिसमें उन्हें बताया गया कि 'आप की रिपोर्ट निगेटिव आई है'. जिसे सुनते ही वे भौचक्के रह गए. क्योंकि उन्होंने कोई कोरोना की कोई जांच ही नहीं कराई थी. ऐसे में विपन ने फौरन स्थानीय अधिकारियों को मामले की जानकारी दी. स्थानीय अधिकारियों के ढुलमुल रवैए को देखते हुए विपिन ने तुरंत भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) से शिकायत की.
आईसीएमआर ने दिखाई सतर्कता
आईसीएमआर (ICMR) ने घटना को गंभीरता से लेते हुए उत्तराखंड स्वास्थ्य विभाग से जवाब मांगा. वहीं यह पूरा मामला यहीं नहीं थमा. इसके बाद उत्तराखंड सरकार से होते हुए ये शिकायत स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी के पास पहुंची. जब उन्होंने पूरे मामले की जांच कराई, तो बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए. स्वास्थ्य विभाग ने पंजाब फोन करने वाले शख्स से जुड़ी लैब की जांच की तो परत-दर-परत पोल खुलती गई. अब एक लाख से ज्यादा जांच संदेह के घेरे में आ चुकी है.
डाटा में सामने आया बड़ा झोल
सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने हरिद्वार समेत प्रदेश के अन्य 12 जनपदों में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल के बीच हुए कोविड जांच का एक डाटा साझा किया गया है. नौटियाल के मुताबिक इस पूरे डाटा पर अगर ध्यान दें, तो यह साफ पता चलता है कि 1 से 30 अप्रैल, 2021 के बीच उत्तराखंड में हुए कुल कोविड-19 टेस्ट के 58 प्रतिशत टेस्ट हरिद्वार जिले में ही हुए हैं. इसके अलावा इस समय जब हरिद्वार में महाकुंभ मेला चल रहा था, तब भी इस तिथि में हरिद्वार जिले में पॉजिटिविटी रेट उत्तराखंड से 80 प्रतिशत कम था. यह कैसे संभव हो सकता है? यह एक बड़ा सोचने का विषय है.