देहरादून: तमाम गांवों-शहरों को रोशन करने के लिए देहरादून का लोहारी गांव हमेशा के लिए व्यासी जल विद्युत परियोजना (Vyasi Hydroelectric Project) के डैम में समा गया है. डूबते लोहारी गांव की तस्वीरें भी खूब वायरल हुईं. इस बीच कहा जा रहा था कि ग्रामीणों का आशियाना तो छिन गया लेकिन ग्रामीणों को उनका हक नहीं मिला. विस्थापन प्रक्रिया में ग्रामीणों के साथ नाइंसाफी हुई है. केवल 48 घंटे पहले ग्रामीणों के घरों में नोटिस चिपका दिए गए, जिसके बाद उनको अचानक गांव छोड़ना पड़ा. इसके पीछे की हकीकत क्या है ? हम आपको बताते हैं.
व्यासी जल विद्युत परियोजना में कार्यदाई संस्था उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (Uttarakhand Jal Vidyut Nigam Limited) के जनसंपर्क अधिकारी विमल डबराल (Public Relations Officer Vimal Dabral) ने बताया कि ऐसा नहीं है. उन्होंने कहा कि इस वक्त केवल आधा सच दिखाया जा रहा है, जबकि वास्तविकता यह है कि 70 के दशक के उत्तरार्ध में इस योजना की शुरुआत हुई थी. उन्होंने बताया कि जब भी कोई जल विद्युत परियोजना शुरू होती है, तो उसमें मुवावजे और विस्थापन की प्रक्रिया पहले चरण में ही पूरी हो जाती है.
विमल डबराल का कहना है कि व्यासी जल विद्युत परियोजना राष्ट्रीय स्तर की एक बहुउद्देशीय परियोजना है. इस योजना के तहत देश के 5 राज्यों में सिंचाई और बिजली की पूर्ति होनी है. वहीं, इस योजना के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के तहत 15 करोड़ मुआवजे के लिए दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि इस योजना के जद में आने वाले रिहायशी क्षेत्रों में ग्रामीणों को स्थाई नौकरियां दी गई हैं.