देहरादून: सरकार मेंमुख्य सचिव(Chief Secretary)का क्या रोल होता है? सरकार मुख्यमंत्री नहीं बल्कि मुख्य सचिव ही चलाते हैं. कई वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विशेषज्ञ यही कहते हैं. बता दें कि उत्तराखंड में जितनी अहम भूमिका बार-बार बदले गए मुख्यमंत्रियों की है, उतनी ही महत्वपूर्ण भूमिका मुख्य सचिव की भी होती है. चीफ सेक्रेटरी की कुर्सी पर बैठने वाले अधिकारी पर ही निर्भर करता है कि वो कैसे सरकार की योजनाओं को अमलीजामा पहनाए.
उत्तराखंड में चीफ सेक्रेटरी रहे अधिकारियों का इतिहास
उत्तराखंड राज्य गठन के साथ हीनित्यानंद स्वामी(Nityananda Swami) को पहला मुख्यमंत्री बनाया गया. तब अजय विक्रम सिंह (Ajay Vikram Singh) चीफ सेक्रेट्री थे. तब उनके रिटायरमेंट को उस वक्त केवल 6 महीने बचे थे. उनके रिटायर्ड होते ही उत्तराखंड के मधुकर गुप्ता को मुख्य सचिव बनाया गया. 2002 में चुनाव के बाद बनी कांग्रेस सरकार में भी मधुकर गुप्ता ने मुख्य सचिव के तौर पर अपनी सेवाएं दी.
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2003 में आरएस टोलिया बने मुख्य सचिव
मुख्य सचिव मधुकर गुप्ता के रिटायरमेंट के बाद 1 सितंबर 2003 को आरएस टोलिया उत्तराखंड के मुख्य सचिव बने. उस समय उत्तराखंड में एनडी तिवारी मुख्यमंत्री थे. कांग्रेस के दिग्गज नेता और नए नवेले उत्तराखंड के एक कद्दावर मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के साथ मुख्य सचिव आरएस टोलिया की खूब पटती थी.
स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाता है टोलिया का नाम
उत्तराखंड की ब्यूरोक्रेसी में टोलिया का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाता है. 1 सितंबर 2003 से 4 अक्टूबर 2005 तक मुख्य सचिव रहे आरएस टोलिया उत्तराखंड के सीमांत जिले पिथौरागढ़ से आते थे और उनके जहन में पहाड़ के विकास की चिंता हमेशा रहती थी. वह हफ्तों तक पहाड़ के दौरे पर रहते थे और पहाड़ के विकास के लिए नीतियां बनाने में जुटे रहते थे.
उत्तराखंड में बने तमाम छोटे-बड़े बोर्ड परिषद भी आरएस टोलिया की देन हैं. बात चाहे उत्तर प्रदेश तराई बीज निगम की हो, जड़ी बूटी शोध संस्थान गोपेश्वर हो या सेलाकुई हर्बल मेडिकल प्लांट. बतौर मुख्य सचिव आरएस टोलिया का ही ये कांसेप्ट रहा है. उत्तराखंड में तमाम परिषद बनने के बाद कई समाजसेवी संस्थाएं भी उत्तराखंड में विकास के लिए आगे आईं. इसके अलावा उन्होंने पहाड़ों के उत्थान के लिए कई किताबें भी लिखी हैं.
2006 में एसके दास ने संभाली चीफ सेक्रेटरी की जिम्मेदारी
एनडी तिवारी के मुख्यमंत्री रहते ही आरएस टोलिया 5 अक्टूबर 2005 को रिटायर्ड हुए. फिर कुछ महीनों तक मुख्य सचिव की कमान आईएएस अधिकारी एम.रामचंद्रन के हाथ में रही. बहुत कम समय के बाद ही उन्हें केंद्र में प्रतिनियुक्ति में भेज दिया गया. जिसके बाद फरवरी 2006 में आईएएस अधिकारी एसके दास ने चीफ सेक्रेटरी की जिम्मेदारी संभाली. एनडी तिवारी के साथ-साथ जब प्रदेश में सत्ता बदली और भाजपा की सरकार आयी तब भी चीफ सेक्रेटरी की कुर्सी पर एसके दास बने रहे.
चीफ सेक्रेटरी से ज्यादा सीएम के सचिव के चर्चे
अमूमन कहा जाता है कि जब प्रदेश में सत्ताधारी दल बदलता है तो मुख्य सचिव भी बदला जाता है. लेकिन वर्ष 2007 में आई भारतीय जनता पार्टी के मुख्यमंत्री भुवन चंद खंडूड़ी ने ऐसा नहीं किया. उन्होंने मुख्य सचिव एसके दास को ही अपना मुख्य सचिव बनाए रखा. तब राजनीतिक गलियारों में चर्चा रहती थी कि खंडूड़ी सरकार में मुख्य सचिव एसके दास से ज्यादा मुख्यमंत्री खंडूड़ी के सचिव प्रभात सारंगी की चलती थी.
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इसके बाद वर्ष 2008 में मुख्य सचिव एसके दास में वीआरएस ले लिया. वे लोक सेवा आयोग चले गए. जिसके बाद इंदु कुमार पांडे उत्तराखंड के नए मुख्य सचिव बने. खंडूड़ी सरकार जाने के बाद रमेश पोखरियाल निशंक को मुख्यमंत्री बनाया गया, तब सुभाष कुमार को मुख्य सचिव बनाया गया.
कांग्रेस ने आलोक जैन को बनाया मुख्य सचिव
जिसके बाद प्रदेश में एक बार फिर से चुनाव हुए. इस बार सरकार कांग्रेस की आई. कांग्रेस ने विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया. उनके साथ मुख्य सचिव भी बदले गये. इस बार कांग्रेस ने आलोक जैन को मुख्य सचिव बनाया. मगर, कुछ ही दिनों के बाद उन्हें बदल दिया गया. उसके बाद एक बार फिर सुभाष कुमार को उत्तराखंड का मुख्य सचिव बनाया गया. उन्होंने रिटायर होने के बाद भी उत्तराखंड विद्युत विनायक आयोग का पद संभाला.
समय से पहले हटाए गए थे सुभाष कुमार
दरअसल, 1 मई 2012 को मुख्य सचिव रहे सुभाष कुमार को उनके पद से हटाया गया था, क्योंकि उनके खिलाफ कोर्ट में एक याचिका दायर हुई थी, जिनमें उनके मूल निवास के प्रमाण पत्र को तिब्बत का बताया गया था. हालांकि, यह दावा कोर्ट में झूठ निकला और एक बार फिर से सुभाष कुमार को मुख्य सचिव बनाया गया. दोबारा 3 मई 2013 से सुभाष कुमार से पद ग्रहण किया. वो 21 अक्टूबर 2014 तक मुख्य सचिव पद पर रहे.
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हरीश रावत ने चहेते राकेश शर्मा को दी जिम्मेदारी
कांग्रेस की सरकार के रहते प्रदेश ने भीषण 2013 की आपदा का दौर देखा, जिसके बाद उत्तराखंड में एक बार फिर से नेतृत्व परिवर्तन हुआ. इस बार कांग्रेस ने मुख्यमंत्री की कमान हरीश रावत के हाथ में दी. हालांकि, इस बीच कुछ समय के लिए भारत सरकार से एन. रविशंकर भी उत्तराखंड में मुख्य सचिव पद पर आए, लेकिन वो यहां ज्यादा समय नहीं रहे. फिर तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपने चहेते मुख्य सचिव राकेश शर्मा को मुख्य सचिव की जिम्मेदारी सौंपी.