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उत्तराखंड में पांचवें धाम की रखी गई नींव, बिपिन रावत के नाम पर प्रवेश द्वार, जानें सैन्य धाम की खासियत

देवभूमि के साथ ही उत्तराखंड को वीरों की भूमि भी कहा जाता है. यहां चार धामों की यात्रा में देश विदेश से श्रद्धालु आते हैं और अब इस धरती पर एक धाम और जुड़ गया है. रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने सैन्य धाम का भूमि पूजन किया है. सैन्य धाम के मुख्य प्रवेश द्वार का नाम दिवंगत सीडीएस बिपिन रावत के नाम पर रखा गया है. इस धाम की कई अन्य विशेषताएं भी हैं.

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उत्तराखंड में सैन्य धाम

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Published : Dec 15, 2021, 4:05 PM IST

Updated : Dec 15, 2021, 4:31 PM IST

देहरादून:देवभूमि उत्तराखंड में पांचवें धाम के रूप में सैन्यधाम (Sainya Dham) बनाया जा रहा है. 50 बीघा भूमि पर सैन्यधाम को 63 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा. उत्तराखंड में पांचवें धाम के रूप में बनने वाले सैन्यधाम का रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शिलान्यास किया. यहां उन्होंने शहीदों के आंगन की मिट्टी पर पुष्पांजलि अर्पित की और जनता को संबोधित करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड सरकार का आभार जताया है.

सैन्यधाम निर्माण के लिए प्रदेश के 1734 शहीद सैनिकों के आंगन से कलश में मिट्टी लाई गई है. सैन्यधाम निर्माण के लिए 15 नवंबर को गढ़वाल मंडल के सवाड गांव और कुमाऊं मंडल के मूनाकोट गांव से शहीद सम्मान यात्रा शुरू की गई थी. जिसके बाद यहां से शहीदों के आंगन की मिट्टी एकत्र की गई. शहीदों के आंगन से लाई गई मिट्टी को एक बड़े कलश में रख सैन्य धाम में बनने वाली अमर जवान ज्योति की नींव में रखा गया है.

सैन्य धाम की खासियत.

CDS के नाम पर होगा मुख्य प्रवेश द्वार:उत्तराखंड के सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना के मुताबिक इस पर काम करते हुए देहरादून स्थित गुनियाल गांव पुरुकुल में 63 करोड़ रुपये की लागत से विशाल सैन्य धाम का निर्माण किया जा रहा है. सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी ने बताया कि गुनियाल गांव पुरुकुल में बन रहे इस सैन्य धाम का मुख्य प्रवेश द्वार देश के प्रथम CDS जनरल बिपिन रावत के नाम पर बनाया जा रहा है.

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सैन्य धाम की खासियत:देहरादून के गुनियालगांव में लगभग 50 बीघा भूमि पर सैन्यधाम का निर्माण हो रहा है. धाम का अर्थ मंदिर से है, इसलिए सेना में पूजनीय बाबा हरभजन सिंह और जसंवत सिंह के मंदिर बनेंगे. धाम के अतिरिक्त यहां इतिहास और शौर्य गाथाओं की झांकी भी सजाई जाएगी.

सैन्यधाम में एक भव्य तथा दिव्य शौर्य स्तूप बनेगा, जो इसकी खासियत होगा. यहां लाइट एंड साउंड शो, वीर गाथाओं के प्रसारण हेतु थिएटर, संग्रहालय भी बनाए जाएंगे. भारतीय थल सेना का प्रतीक टैंक, वायु सेना का प्रतीक लड़ाकू विमान एवं नौसेना के जहाजों के प्रतीक भी रखे जाएंगे.

सैनिकों के चित्र: पांचवें धाम सैन्यधाम में द्वितीय विश्वयुद्ध से लेकर अब तक उत्तराखंड के जितने भी सैनिक शहीद हुए हैं, उन सबके चित्र लगाए जाएंगे. इसके साथ ही उन सभी के बारे में जानकारी भी दी जाएगी. दो साल में सैन्य धाम बनाने का लक्ष्य है. उत्तराखंड के सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी का कहना है कि जो भी उत्तराखंड में धामों की यात्रा करने आएगा, वह इस धाम को जरूर देखना चाहेगा. यह देश की सेना के शौर्य और गौरवशाली इतिहास को संजोने वाला स्थान होगा.

जनरल बिपिन रावत हमेशा लोगों के दिलों में रहेंगे: इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा 'उत्तराखंड का यह क्षेत्र तो वीरों का क्षेत्र है. देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत उत्तराखंड की इसी महान परंपरा के वाहक थे. उनका निधन देश की बहुत बड़ी क्षति है. आज जनरल रावत भले ही इस दुनिया में नहीं है मगर लोगों के दिलों में वे हमेशा जीवित रहेंगे'.

Last Updated : Dec 15, 2021, 4:31 PM IST

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