देहरादून: कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे से बचने के लिए आजकल सैनिटाइजर का इस्तेमाल अधिक किया जा रहा है. लेकिन सैनिटाइजर का इस्तेमाल सावधानी से करना चाहिए. अन्यथा इसके घातक परिणाम हो सकते हैं. उत्तराखंड में कोरोना वायरस मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है. जिसे देखते हुए हर शनिवार और रविवार राजधानी देहरादून को सैनिटाइज किया जा रहा है. एक्सपर्ट से जानिए ओपन एयर सैनिटाइजर स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक हो सकता है.
ओपन एयर सैनिटाइजर कितना घातक? देहरादून के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. केपी जोशी कहना है सैनिटाइजेशन के लिए जो केमिकल इस्तेमाल किए जा रहे हैं. वह मानव शरीर के लिए बेहद ही घातक साबित हो सकते हैं. इनकी वजह से दमा, अस्थमा और अन्य बीमारियां हो सकती हैं. सैनिटाइजेशन के लिए इस्तेमाल हो रहे घातक केमिकल्स का सीधा प्रभाव मरीज के फेफड़ों पर पड़ सकता है.
डॉ. केपी जोशी बताते हैं कि ओपन एयर सैनिटाइजेशन में सोडियम हाइपोक्लोराइट केमिकल का इस्तेमाल होता है. जो त्वचा या आंखों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर फेफड़ों को प्रभावित करता है. इसके साथ ही केमिकल की वजह से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता भी कम होती है. इस संकट की घड़ी में यदि प्रतिरोधक क्षमता कम होती है तो इससे कोरोना के खिलाफ जंग जीत पाना बेहद मुश्किल हो जाएगा.
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ईटीवी भारत के जरिए डॉ. केपी जोशी ने सीएम से अपील करते हुए कहा कि ओपन एयर सैनिटाइजेशन का कार्य केवल कंटेनमेंट जोन में करना चाहिए. क्योंकि कोरोना वायरस सिर्फ हवा नहीं बल्कि सरफेस पर भी मौजूद हो सकता है. ऐसे में ओपन एयर सैनिटाइजेशन का कोई औचित्य नजर नहीं आता. सरकार को चाहिए कि हर सप्ताह मुख्य मार्गों पर ओपन एयर सैनिटाइजेशन कराने की जगह केवल कोरोना प्रभावित इलाकों में ही कराया जाए.
सोडियम हाइपोक्लोराइट कितना नुकसानदेय
सोडियम हाइपोक्लोराइट का स्प्रे क्लोरीन छोड़ता है. क्लोरिन हवा में सभी वायरस को मारता है और सोडियम लंबे समय तक ठोस सतहों को साफ बनाता है. जिससे वायरस का विकास रूक जाता है. इसीलिए सोडियम हाइपोक्लोराइट का प्रयोग दूषित सतहों को कीटाणुरहित करने के लिए किया जाता है और कोरोना वायरस संक्रमण के जोखिम को कम करता है.
सोडियम हाइपोक्लोराइट के स्प्रे से लोगों के खुले अंगों, आंख, कान और चेहरे आदि पर गिरने पर एलर्जी, जलन आदि पैदा हो जाती है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी साफ कहा है कि मानव शरीर पर सोडियम हाइपोक्लोराइट रसायन का छिड़काव करना सही नहीं है. यह घातक रसायन से बने होते है जिन्हें हानिकारक किटाणुओं को नष्ट करने के लिए उपयोग में लाया जाता है.
स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाह
- किसी भी परिस्थिति में व्यक्तियों या समूहों पर छिड़काव नहीं करना है. छिड़काव शारीरिक और मनोवैज्ञानिक रूप से काफी हानिकारक साबित हो सकता है.
- भले ही कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित क्यों न हो. शरीर के बाहरी हिस्से को स्प्रे करने से आपके शरीर में प्रवेश कर चुके वायरस को नहीं मारा जा सकता है.
- व्यक्तियों पर क्लोरीन के छिड़काव से आंखों और त्वचा में जलन हो सकती है, जिससे उन्हें जी मिचलाना और उल्टी हो सकती है.
- सोडियम हाइपोक्लोराइट से सांस लेने में तकलीफ हो सकती है. गलती से यह रसायन नाक, गले या सांस नली में चला जाय तो जलन और ब्रोंकोस्पजम (सांस लेने में तकलीफ) भी हो सकती है.
- अगर कोरोना वायरस को नष्ट करना है तो बार-बार हाथ धोएं और सामाजिक दूर का पालन करें.