देहरादून:स्ट्रोक या दौरे को लेकर बात की जाए तो ज्यादातर लोग दिल के दौरे के बारे में बात करते हैं. लेकिन हमारे शरीर में, हमारे दिमाग में पड़ने वाले दौरे भी बेहद घातक और खतरनाक होते हैं, जो इंसान की जान तक ले सकते हैं. पूरी जिंदगी भर अपंग भी बना सकते हैं. आज पूरे विश्व में तकरीबन 18 से 20 लाख लोग ब्रेन स्ट्रोक के मरीज हैं और भारत में हर मिनट तीन से चार लोगों को दिमाग के दौरे पड़ रहे हैं. ऐसे में आज मनाए जाने वाले वर्ल्ड स्ट्रोक डे पर आइए जानते हैं कि शरीर पर पड़ने वाले इन दिमाग के दौरों (स्ट्रोक) के लक्षणों को कैसे पहचानें और इनका सही इलाज कैसे करें.
एक मिनट भी बचा सकता है जिंदगी: वर्ल्ड स्ट्रोक कम्युनिटी 29 अक्टूबर को वर्ल्ड स्ट्रोक डे मनाती है और इस मौके पर पूरे विश्व में हेल्थ सेक्टर के लोग स्ट्रोक यानी दिमागी दौरों को लेकर जागरूकता की बात करते हैं. इस बार वर्ल्ड स्ट्रोक कम्युनिटी ने वर्ल्ड स्ट्रोक डे की थीम दी है - 'टाइम इज ब्रेन' (Time is Brain). यानी स्पष्ट है कि यदि दिमाग का दौरा पड़ता है तो वहां पर समय की भूमिका इतनी बढ़ जाती है कि जितना जल्दी आप इसके लक्षणों को पहचानेंगे और उसका इलाज करवाएंगे, उतना आपका दिमाग आप बचा पाएंगे. इसी समय को स्ट्रोक यानी दिमागी दौरे के उपचार में 'गोल्डन आवर' कहा गया है.
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क्या कहते हैं न्यूरोलॉजिस्ट: वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ नितिन गर्ग बताते हैं कि स्ट्रोक के बारे में महत्वपूर्ण बात यह है कि समय ही सब कुछ है. एक स्ट्रोक के बाद हर सेकंड में दिमाग की 32 हजार मस्तिष्क कोशिकाएं मरने लगती हैं, जो कि स्थायी विकलांगता की ओर धकेलने लगती हैं. अगर स्थिति तब भी नियंत्रण में न की गई, तो इससे जान जाने का भी जोखिम बढ़ जाता है. इससे बचने के लिए जरूरी है कि इलाज जल्द से जल्द शुरू हो जाए. उन्होंने यह भी बताया कि हमारे देश में सही समय पर दिमागी दौरों (स्ट्रोक) के लक्षणों की पहचान ना होने की वजह से ही स्ट्रोक के मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता है, जो कि हमारे देश में इस बीमारी की सबसे बड़ी वजह है.
दिमागी दौरों को कैसे पहचानें: वरिष्ठ न्यूरोलॉजिस्ट डॉ नितिन गर्ग बताते हैं कि वर्ल्ड स्ट्रोक ऑर्गनाइजेशन ने स्ट्रोक को पहचाने के लिए एक निमोनिक यानी एक लक्षणों को पहचानने की विधि सुझाई है. इसे FAST कहा जाता है. FAST यानी फेस- आर्म वीकनेस या फिर बोलने में परेशानी. यानी स्लिप ऑफ टंग. लेकिन इसके बावजूद भी कई बार इन लक्षणों से स्ट्रोक की पहचान नहीं हो पाती है तो अब वर्ल्ड स्ट्रोक ऑर्गनाइजेशन ने इस FAST निमोनिक में 2 और शब्द जोड़ दिये हैं. अब BEFAST से स्ट्रोक के लक्षणों को परिलक्षित किया जा सकता है.
क्या है BEFAST?:BEFASTमें बाकी सारे लक्षणों के साथ साथ शरीर को संतुलन बैलेंस में दिक्कत और आई साइड वीक यानी देखने में परेशानी होने लगे तो इससे भी स्ट्रोक की पहचान की जा सकती है. फिर जल्द से जल्द इलाज किया जा सकता है. उन्होंने यह भी बताया कि कई बार मरीज में यह सारे लक्षण पाये जाते हैं और वह कुछ देर बाद खुद को ठीक महसूस करता है जिसे TIA (Transient ischemic attack) कहते हैं. यह बिल्कुल वैसा ही होता है जैसे हार्ट (Cardiac) के मामले में एनजाइना Angina अटैक होता है. इसका मतलब होता है कि आपके पास अभी वक्त है. अपने लक्षणों को अपने डॉक्टर से साझा करें और जो जरूरी जांचें हैं वो करवाएं. क्योंकि यह आपको आने वाले एक बड़े स्ट्रोक से बचाएगा. यदि आपने अपने TIA को नजरअंदाज किया, तो संभव है कि अगले सप्ताह या फिर वह अगले 10 से 15 दिनों में यह एक बड़े स्ट्रोक में तब्दील हो जाए और वह आपको एक लॉग डिसेबिलिटी की और ले जा सकता है.
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