देहरादूनः16 अप्रैल कोहनुमान जन्मोत्सव और चैत्र पूर्णिमा है. चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी की जन्मोत्सव मनाई जाती है. इस दिन भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार यानि बजरंगबली हनुमान का जन्म हुआ था. हनुमान जन्मोत्सव के दिन हनुमान जी की उपासना व्यक्ति को हर प्रकार के भय से मुक्ति दिलाकर सुरक्षा प्रदान करती है. साथ ही हर प्रकार के सुख-साधनों से फलीभूत करती है.
पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान भोले शंकर के ग्यारवें सबसे बलवान एवं बुद्धिमान अवतार श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी का जन्म त्रेता युग में चैत्र माह की पूर्णिमा में हुआ था. प्रत्येक वर्ष चैत्र पूर्णिमा तिथि को हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाता है. इस दिन पूर्णिमा का उपवास भी रखा जाता है.
ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी की मानें तो हनुमान जन्मोत्सव का हनुमान जयंती के नाम से उच्चारण करते हैं, लेकिन हनुमान जी के बारे में धार्मिक मान्यता है कि श्रीराम के आशीर्वाद से भगवान हनुमान कलयुग के अंत तक पृथ्वी लोक पर विराजमान रहेंगे. अतः उनके लिए जयंती शब्द का उपयोग करना अनुचित होगा. क्योंकि जयंती उनकी मनाई जाती है, जो मृत्यु लोक से गमन कर परलोक सिधार जाते हैं. हनुमान जी चिरंजीवी हैं.
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शुभ योग एवं मुहूर्त: ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी के मुताबिक, पूर्णिमा तिथि 16 अप्रैल को रात्रि 2:00 बजकर 27 मिनट से 17अप्रैल को रात्रि 12:00 बज कर 26 मिनट तक रहेगी. इस वर्ष हनुमान जन्मोत्सव पर कुछ विशेष योग बनने जा रहे हैं. इस दिन हनुमानजी का प्रिय वार शनिवार पड़ रहा है. इस दिन हर्षण योग भी बन रहा है. इस योग में सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं. साथ ही सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है.
हस्त नक्षत्र प्रातः 5:55 से शुरू होकर 8:40 तक रहेगा. इस मुहूर्त में हनुमान जी की पूजा विशेष लाभकारी सिद्ध होती है. इस दिन हस्त नक्षत्र सुबह 8:40 तक रहेगा. उसके बाद चित्रा नक्षत्र प्रारंभ होगा. यह दोनों नक्षत्र मांगलिक एवं शुभ कार्यों के लिए अत्यंत शुभ फलदाई रहेंगे. 16 अप्रैल को अभिजीत मुहूर्त दिन में 11:55 से प्रारंभ होकर 12:47 तक रहेगा.
पूर्णिमा उपवासः जिन जातकों का चंद्रमा कमजोर स्थिति में हो मुख्यत चंद्रमा छठे, आठवें एवं बारहवें भाव में विराजमान हो और चंद्रमा की युति राहु, केतु या शनि के साथ हो तो ऐसी स्थिति में जो जातक पूर्णिमा का उपवास प्रारंभ करना चाहते हैं तो चैत्र पूर्णिमा से प्रारंभ कर सकते हैं.
पूर्णिमा का उपवास रखने से मानसिक शांति प्राप्त होती है. संतान को लेकर कोई समस्या है या फिर वैवाहिक जीवन में कोई समस्या उत्पन्न हो रही है तो पूर्णिमा के उपवास मात्र से ही सभी कष्टों का नाश होता है. पूर्णिमा को सफेद वस्तुओं का दान अति शुभ होता है.
हनुमान जन्मोत्सव पूजा विधिः ब्रह्म मुहूर्त में उठकर दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करें. हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प लें. पूर्व दिशा में श्री हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करें. हनुमान जी को गंगाजल से स्नान कराकर लाल, भगवा चोला अर्पित करें. घी की अखंड ज्योत प्रज्वलित करें. हनुमान जी को सिंदूर, कुमकुम, अक्षत, लाल पुष्प चढ़ाएं. गुड़, चना, बेसन के लड्डू, बूंदी के लड्डू भोग प्रदान करें और बाएं तरफ जल रखें.
इन मंत्रों के उच्चारण से सभी कष्ट होंगे दूरः हनुमान जन्मोत्सव पर इन मंत्रों का उच्चारण करने से सभी प्रकार कष्टों से मुक्ति प्राप्त होगी.
- ओम नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा.
- ॐ नमो भगवते हनुमते नम:.
हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं. सुंदरकांड, रुद्राष्टकम का पाठ करना अत्यंत शुभ फलकारी रहेगा.
ये उपाय करने से भी प्राप्त होगा लाभः ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी के मुताबिक, हनुमान जन्मोत्सव पर आप कुछ उपाय भी कर सकते हैं, जिन्हें करने से आपको लाभ प्राप्त होगा. यदि आप शत्रु बाधा, आर्थिक संकट एवं रोग, शोक से पीड़ित हैं तो हनुमान जन्मोत्सव पर प्रातः काल स्नानादि के बाद पीले या लाल वस्त्र धारण करें. हनुमान जी के सम्मुख चमेली के तेल से दीपक जलाएं. सिंदूर बजरंगबली को अर्पित करें. लाल या नारंगी रंग का चोला चढ़ाएं एवं गुलाब के फूल की माला हनुमानजी को अर्पित करें.
इसके बाद एक साबुत पान का पत्ता लें, ध्यान रखें कि पान का पत्ता खंडित ना हो. इसके ऊपर थोड़ा सा गुड़ व चना रखकर हनुमान जी को भोग लगाएं एवं पांच फल अर्पित कर आरती करें. सुंदरकांड, हनुमान चालीसा एवं श्री राम रक्षा स्त्रोत, श्री हनुमानष्टक का पाठ करें. बेसन के लड्डू का भोग लगाकर आरती करें. किसी जरूरतमंद को वस्त्र इत्यादि दान करें.