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नेहरू जयंती: मसूरी से था गहरा लगाव, यहीं से किया था राजनीति में पदार्पण - इतिहासकार गोपाल भारद्वाज

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंती पर आज पूरा देश उनको याद कर रहा है. पंडित नेहरू का उनका मसूरी से गहरा संबंध था. उनकी यादें आज भी मसूरी के लोगों के दिलों में ताजा हैं.

pandit jawaharlal nehru
पंडित जवाहर लाल नेहरू

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Published : Nov 14, 2020, 6:20 PM IST

Updated : Nov 18, 2020, 3:38 PM IST

मसूरी:देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की आज जयंती है. पूरा देश आज उनको याद कर रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश के पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को याद किया है. पंडित नेहरू को देवभूमि से बहुत प्यार था. खासकर देहरादून और मसूरी से पंडित नेहरू को बेइंतहा मुहब्बत थी.

मसूरी में पंडित नेहरू.

उनका मसूरी से गहरा संबंध रहा है. किशोरावस्था से ही वह देहरादून और मसूरी आते रहे. आजादी की जंग के दौरान भी वह लगातार मसूरी आए. देहरादून की पुरानी जेल में वो कई महीनें जेल में कैद रहे. आज जो नेहरु संग्रहालय में है वहां पर पं. नेहरु 1932, 1933, 34 और 1941 में कैद रहें. यहां पर उन्होंने भारत एक खोज पुस्तक के कुछ अंश भी लिखे थे. नेहरू जी राजनीतिक बंदी के तौर पर कैद थे.

मसूरी के मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज.

मसूरी के पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला ने बताते हैं कि नेहरू जी का मसूरी से खासा लगाव था और जब भी नेहरू जी को देश के कार्य से थोड़ी भी फुरसत मिलती थी, वह पहाड़ों की रानी मसूरी अक्सर आराम करने आया जाते थे. मसूरी का उस समय का मशहूर होटल सवाय में रूकते थे, जहां आज भी उनके चित्रों से सजी एक गैलरी है.

नई दिल्ली से पंडित नेहरू द्वारा लिखा गया पत्र.

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मसूरी के मशहूर इतिहासकार गोपाल भारद्वाज कहते हैं कि नेहरू जी ने भारत की आजादी के लिए अपना अहम योगदान दिया है, जिसकी वजह से आज हम आजाद हैं. उन्होंने कहा अग्रेजों से भारत को आजाद करवाने के लिए बड़ी यातनाएं झेलीं. चाचा नेहरू का आत्मविश्वास व देश को आजाद कराने के जज्बे ने उन्हें कभी भी अग्रेजों के सामने झुकने नहीं दिया.

पंडित जवाहर लाल नेहरू की यादें.

15 अगस्त 1947 में देश आजाद करवाया और देश के पहले प्रधानमंत्री बने. उन्होंने बताया की उनके पिता जी ने नेहरू के जन्मदिन के अवसर पर उनको दिल्ली पत्र के माध्यम से बधाई संदेष भेजा था, जिसका जबाब उन्होंने पत्र के माध्यम से उनको भेजा और आज भी वह पत्र उनके पर संरक्षित हैं.

Last Updated : Nov 18, 2020, 3:38 PM IST

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