नई दिल्ली/ गाजियाबाद: वारदातों और विवादों से भरी जिंदगी, लाखों भक्त और संत समाज में एक अलग ही रुतबा रखने वाले गोल्डन बाबा का आज निधन हो गया. गोल्डन बाबा लंबे समय से बीमार चल रहे थे. आइए आपको बताते हैं कैसे एक दर्जी, कारोबारी से होते हुए सुधीर कुमार कक्कड़ ने फर्श से अर्श तक का सफर तय किया.
वारदातों और विवादों से भरी है बाबा की 'गोल्डन' कहानी दर्जी से बने कारोबारी-बदमाश से बने बाबा
ऊपर से नीचे तक गोल्ड से लदे रहने वाले गोल्डन बाबा की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. गोल्डन बाबा कुछ दशक पहले दर्जी की दुकान पर काम करते थे, लेकिन उनकी इच्छाएं काफी बड़ी थीं. सोने की चमक दमक उन्हें हमेशा लुभाती थी. धीरे-धीरे उन्होंने कपड़े की दुकान खोल ली. लेकिन इससे उनके सपने पूरे नहीं हुए. फिर वो कारोबार बदलते रहे, प्रॉपर्टी डीलिंग से लेकर रेस्टोरेंट्स चलाया. मगर फिर भी चाहत पूरी नहीं हुई.
ऐसे में उनका नाम कई अपराधिक वारदातों से भी जुड़ा. फिरौती मांगने से लेकर अपहरण तक के मुकदमे उन पर कुछ दशकों पहले दर्ज हुए थे. इसके बाद उन्हें लोग बदमाश कहने लगे थे, लेकिन एक दिन वो हरिद्वार गए. जहां पर धार्मिक चोला पहनकर बाबा ने संन्यास ग्रहण कर लिया. हालांकि अभी भी गोल्ड उनकी पहली पसंद था. हर साल कावड़ लेने जाने वाले गोल्डन बाबा अपने बदन पर करीब 21 किलो सोना पहनते थे. एक अनुमान के मुताबिक बताया जाता है कि इस गोल्ड की कीमत एक करोड़ से ज्यादा की थी. गोल्ड की चमक-दमक में उन्होंने खुद का नाम गोल्डन बाबा ही रख लिया था और लोग भी उन्हें इसी नाम से पुकारते थे.
गांधीनगर में थी हिस्ट्री शीट
बाबा की हिस्ट्रीशीट गांधी नगर थाने में खुली हुई थी. जिसमें उनके तमाम अपराधों के बारे में जानकारी दी गई थी, लेकिन दशकों में उनका रूप समाज में काफी बदलता हुआ दिखाई दिया. जब बाबा चलते थे तो उनके पीछे हजारों कांवड़िए चलते थे. वह अपने गोल्ड में से जरूरतमंदों को कुछ गोल्ड वितरित भी किया करते थे. कई बार उनके पीछे इसी वजह से कतार लग जाती थी कि बाबा अपनी अंगूठी या सोने का कोई अन्य आभूषण उपहार दे देंगे.
गुरु मां कंचन गिरि ने बताई कई महत्वपूर्ण बातें
गोल्डन बाबा जूना अखाड़े से जुड़े हुए थे और जूना अखाड़े से ही गाजियाबाद की रहने वाली गुरु मां कंचन गिरि भी जुड़ी हुई हैं. उन्होंने भी बाबा के जीवन के बारे में प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि शुरू में भले ही बाबा का जीवन अपराध में लिप्त रहा, लेकिन बाद में कांवड़ियों के चहेते बन गए. गुरु मा कंचन गिरि ने खुलासा किया कि गोल्डन बाबा का सफर अच्छा और बुरा हर दौर से गुजरा है.
शाही स्नान से हुए थे निष्कासित
गुरु मां कंचन गिरि ने यह भी खुलासा किया है कि हाल ही में गोल्डन बाबा का विवाद भी होता रहा है. पिछले साल कुंभ के मेले में उनका विवाद हो गया था. जिसके बाद शाही स्नान में जाने की अनुमति नहीं दी गई. शाही स्नान में जाने संबंधित उनका निष्कासन पत्र घोषित कर दिया गया था. हालांकि बाद में समझौता हुआ और फिर वह शाही स्नान में गए.
उनका कहना है कि मनुष्य जीवन एक न एक दिन त्यागना ही पड़ता है, लेकिन हर साल सावन में गोल्डन बाबा कावड़ियों के बीच काफी लोकप्रिय रहते थे और इस बार सावन से पहले ही सब को अलविदा कह कर चले गए. भगवान उनकी आत्मा को शांति दे.