देहरादूनःभू-कानून और मूल निवास पर आम जनता ने शायद महासंग्राम का मन बना लिया है. सुनियोजित तैयारी के तहत आयोजन की कमियों को छोड़ दें तो आम लोगों का स्वत: स्फूर्त होकर देहरादून के परेड ग्राउंड में पहुंचना अपने आप में एक बड़ा संदेश दे गया है. जानकार कहते हैं कि राज्य आंदोलन के दौरान जो भावनाएं और जनता की सहभागिता दिखाई देती थी. कुछ इस तरह का माहौल भी आज देहरादून में दिखाई दिया. रैली के दौरान दूर-दूर से लोग यहां पहुंचे थे. लेकिन इन तमाम लोगों के बीच किन्नरों का वह दल भी चर्चाओं में रहा, जिसने मूल निवास के लिए 1950 के कानून और भू कानून को लेकर उठाई जा रही इस आवाज को और भी मजबूत किया.
परेड ग्राउंड से जब रैली चली तो किन्नरों के इस दल ने भी रैली में प्रतिभाग किया. इनका कहना था कि उत्तराखंड में मूल होने की लड़ाई बेहद जरूरी है और आज उत्तराखंड के बच्चों को ही उत्तराखंड के हक हकूकों से बाहर किया जा रहा है. किन्नरों ने कहा कि उत्तराखंड के पहाड़ अपना अस्तित्व खो रहे हैं. यहां की जरूरतों को नजर अंदाज किया जा रहा है. इन तमाम बातों के बीच जरूरी है कि राज्य में एक कठोर भू-कानून लाया जाए, ताकि उत्तराखंड के पहाड़ को बचाया जा सके.
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