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स्वाभिमान रैली को किन्नरों ने भी दिया समर्थन, भू-कानून और मूल निवास को बताया जरूरी

Eunuchs also demanded their mool niwas उत्तराखंड में भू-कानून और मूल निवास के मुद्दे पर बहस जारी है. देहरादून में रविवार को इसका असर भी दिखाई दिया और परेड ग्राउंड के चारों तरफ की सड़क लोगों की खचाखच भीड़ से भरी दिखाई दी. हजारों की संख्या में लोग अपने-अपने तरीके से इस मांग को पूरा करने के लिए सरकार तक अपनी बात पहुंच रहे थे. इस बीच आकर्षण का केंद्र उत्तरकाशी से इस आंदोलन में शामिल होने वाले आए किन्नर भी रहे जिन्होंने मूल निवास की आवाज को और भी ताकत देने का काम किया.

Eunuchs also demanded their mool niwas
किन्नरों ने भी की मूल निवास की मांग

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Dec 24, 2023, 7:35 PM IST

Updated : Dec 24, 2023, 7:48 PM IST

स्वाभिमान रैली को किन्नरों ने भी दिया समर्थन.

देहरादूनःभू-कानून और मूल निवास पर आम जनता ने शायद महासंग्राम का मन बना लिया है. सुनियोजित तैयारी के तहत आयोजन की कमियों को छोड़ दें तो आम लोगों का स्वत: स्फूर्त होकर देहरादून के परेड ग्राउंड में पहुंचना अपने आप में एक बड़ा संदेश दे गया है. जानकार कहते हैं कि राज्य आंदोलन के दौरान जो भावनाएं और जनता की सहभागिता दिखाई देती थी. कुछ इस तरह का माहौल भी आज देहरादून में दिखाई दिया. रैली के दौरान दूर-दूर से लोग यहां पहुंचे थे. लेकिन इन तमाम लोगों के बीच किन्नरों का वह दल भी चर्चाओं में रहा, जिसने मूल निवास के लिए 1950 के कानून और भू कानून को लेकर उठाई जा रही इस आवाज को और भी मजबूत किया.

परेड ग्राउंड से जब रैली चली तो किन्नरों के इस दल ने भी रैली में प्रतिभाग किया. इनका कहना था कि उत्तराखंड में मूल होने की लड़ाई बेहद जरूरी है और आज उत्तराखंड के बच्चों को ही उत्तराखंड के हक हकूकों से बाहर किया जा रहा है. किन्नरों ने कहा कि उत्तराखंड के पहाड़ अपना अस्तित्व खो रहे हैं. यहां की जरूरतों को नजर अंदाज किया जा रहा है. इन तमाम बातों के बीच जरूरी है कि राज्य में एक कठोर भू-कानून लाया जाए, ताकि उत्तराखंड के पहाड़ को बचाया जा सके.
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इसके अलावा मूल निवास के लिए 1950 के उस नियम को भी लागू किया जाए जिसे भुला दिया गया है. किन्नरों ने कहा कि उत्तराखंड के साथ बनने वाले छत्तीसगढ़ और झारखंड राज्य में जब मूल निवास के लिए स्थिति स्पष्ट है तो फिर उत्तराखंड में इस पर कोई ठोस पहल क्यों नहीं की जा रही है. उन्होंने कहा कि सरकार को इस विषय पर संरक्षण देना चाहिए और सरकार को इसके लिए जिम्मेदारी भी लेनी चाहिए. बड़ी बात यह है कि इस आंदोलन के लिए लोगों का मूवमेंट केवल देहरादून या आसपास के क्षेत्र से ही नहीं था. बल्कि पहाड़ के दूरस्थ क्षेत्रों से भी लोग इसके लिए देहरादून पहुंचे थे और इस दौरान तमाम संगठनों ने भी इसमें प्रतिभाग किया.

कंडीसौड़ में स्थानीय लोगों ने निकाली रैली:उत्तराखंड में सशक्त भू कानून और मूल निवास 1950 लागू करने की आवाज देहरादून के साथ ही पहाड़ी क्षेत्रों में भी गुंजी. सभी ने एक स्वर में उत्तराखंड में सशक्त भू कानून और मूल निवास 1950 लागू करने की मांग उठाई. वहीं, देहरादून रैली के समर्थन में टिहरी के कंडीसौड़ में स्थानीय लोगों द्वारा हाथों में तख्तियां और मशाल लेकर जुलूस निकाला. वक्ताओं ने उत्तराखंड सरकार के सामने 26 जनवरी 2024 तक मूल निवास 1950 और सशक्त भू कानून लागू किए जाने की मांग की.

Last Updated : Dec 24, 2023, 7:48 PM IST

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