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आजादी के 73 साल बाद भी सड़क से महरूम है ये गांव, सरकार के दावों की निकली हवा! - Khark and Melgarh villages

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रोड कनेक्टिविटी को सर्वाधिक प्राथमिकता दी है, लेकिन सुदूरवर्ती क्षेत्रों को सड़क से जोड़ने का दावा करने वाली सरकार की हकीकत से रूबरू होना है, तो जौनपुर विकासखंड के खरक व मेलगढ गांव चले आइए. ये दोनों गांव आजादी के 73 साल बाद भी अभी तक सड़क से वंचित हैं.

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सड़क से महरूम है खरक और मेलगढ गांव

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Published : Jan 20, 2021, 6:40 PM IST

Updated : Jan 21, 2021, 7:57 PM IST

मसूरी: प्रदेश की उत्तराखंड सरकार अपने कार्यकाल में विकास कार्य के दावों का बखान करते नहीं थकती. सरकार का कहना है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में प्रदेश में सड़कों का जाल फैलाया है, लेकिन इन दावों की हवा निकलते दिख रही है. क्योंकि आजादी के 73 साल बाद भी जौनपुर के खरक व मेलगढ गांव के लोग सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं.

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रोड कनेक्टिविटी को सर्वाधिक प्राथमिकता दी है, लेकिन सुदूरवर्ती क्षेत्रों को सड़क से जोड़ने का दावा करने वाली सरकार की हकीकत से रूबरू होना है, तो जौनपुर विकासखंड के खरक व मेलगढ़ गांव चले आइए. ये दोनों गांव आजादी के 73 साल बाद भी अभी तक सड़क से वंचित हैं.

वर्ष 2003 में 15 किमी लंबे सुमनक्यारी-बणगांव-काण्डी मोटर मार्ग को सरकार ने स्वीकृति प्रदान करते हुए सानिवि थत्यूड़ डिविजन द्वारा सड़क निर्माण के लिए टेंडर आमंत्रित किए थे. सुमनक्यारी-बणगांव-सुरांसू-खरक गांव तक के 12 किमी सड़क निर्माण के लिए वित्तीय स्वीकृति भी मिल गयी थी, लेकिन इसके बावजूद आज तक सड़क खरक गांव तक सड़क नहीं पहुंच सकी है. ग्रामीणो का कहना है कि अगर सरकार सड़क निर्माण नहीं करवाती तो वे लोग 2022 विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करेंगे.

सरकार के दावों की निकली हवा!.

टिहरी गढ़वाल जिले के जौनपुर विकासखंड के खरक और मेलगढ़ गांव आज भी सरकारी उपेक्षा की मार झेल रहे हैं. जौनपुर की विशाल सिलवाड़ पट्टी के यही दोनों गांव हैं, जो सड़क नहीं होने का खामियाजा भुगत रहे हैं. सुमनक्यारी से खरक गांव तक 12 किमी सड़क मार्ग में पड़ने वाले ग्रामीणों के खेत-खलिहानों का मुआवजा लोनिवि द्वारा दे दिया गया था. खरक गांव तक टेंडर स्वीकृत होने के बावजूद वर्ष 2007 में सुरांसू गांव तक 10 किमी तक सड़क की कटिंग कर ली गई थी.

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खरक और सुरांसू गांव के बीच में सड़क के एक जाब की कटिंग होने के बावजूद आगे सड़क निर्माण कार्य रोक दिया गया और 13 साल बाद भी सड़क एक इंच भी आगे नहीं बढ़ पायी है. मामले में लोक निर्माण विभाग थत्यूड़ डिविजन द्वारा सड़क निर्माण ना होने को लेकर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया जा रहा है.

खरक गांव के ग्रामीणों का कहना है कि गांव तक सड़क नहीं होने से काश्तकारों की फसल समय पर बाजार नहीं पहुंच पाती है और आर्थिक हानि उठानी पड़ती है. वहीं, किसी के बीमार होने पर बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिससे कभी कभी मरीज की जान पर भी बन आती है. मेलगढ़ गांव की भौगोलिक स्थिति तो और ज्यादा विकट है. जिस कारण से अगर कोई सरकारी कर्मचारी या अधिकारी एक बार मेलगढ़ चला भी आ जाए तो वह इस गांव में दुबारा ना आने की कसम खाकर ही वापस चला जाता है.

मेलगढ़ के लिए काण्डी मल्ली व तल्ली गांव के बीच से सड़क की कटिंग लगभग दो किमी हो चुकी है, लेकिन वहां पर भी कई सालों से काम रूका हुआ है. खरक गांव निवासी सूरत सिंह खरकाई ने बताया कि 2018 में टिहरी के तत्कालीन जिलाधिकारी सोनिका के कैम्पटी में आयोजित चैपाल कार्यक्रम में सड़क निर्माण की गुहार लगाई थी.

जिलाधिकारी द्वारा लोनिवि थत्यूड़ को इस संबंध में तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया था. अगस्त 2020 में जिला पंचायत सदस्य कविता रौंछेला द्वारा टिहरी जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल को आवेदन पत्र दिया था. वहीं, जिलाधिकारी द्वारा लोनिवि थत्यूड़ को तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया था. बावजूद इसके आज तक इस पर कोई सकारात्मक पहल नहीं दिखाई दे रही है.

थत्यूड़ डिवीजन अधिशासी अभियंता रजनीश सैनी का कहना है कि उन्होंने सुरांसू से खरक तक के दो किमी सड़क निर्माण के लिए दोबारा एस्टीमेट बनाकर शासन को भेजा है. बता दें कि 2019 पंचायत चुनाव से पूर्व खरक व मेलगढ़ के ग्रामीणों ने गांव तक सड़क नहीं पहुंचने पर पंचायत चुनाव के बहिष्कार का निर्णय लिया था, लेकिन सरकार के प्रतिनिधियों के आश्वासन के बाद ग्रामीणों ने चुनाव में भाग लेने पर राजी हो गये थे, लेकिन आज पंचायत चुनाव को बीते हुए भी सवा साल का समय बीत चुका है और स्थिति जस की तस बनी हुई है.

आप नेता मुलायम सिंह पहाड़ी ने कहा कि भाजपा सरकार की कथनी और करनी में बहुत अंतर है. आजादी के 73 साल के बाद भी प्रदेश के कई गांव सड़क, बिजली, पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. उन्होने कहा कि गांव से लगाातर पलायन हो रहा है, लेकिन सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को इससे कुछ लेना देना नहीं है. उन्होंने त्रिवेन्द रावत को देहरादून से योजनाये ना बनाकर गांव में पहुंचकर गांव की हालत देखने का आग्रह किया.

Last Updated : Jan 21, 2021, 7:57 PM IST

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