देहरादूनःउत्तराखंड सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट से खानपुर विधायक उमेश कुमार से जुड़ी एक एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) वापस लेने की खबर सामने आई है. बताया जा रहा है कि उत्तराखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में उस मामले की एसएलपी वापस लेने का शपथ पत्र दिया है, जिसे त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार में साल 2020 में सुप्रीम कोर्ट में लगाया गया था. ऐसे में यदि कोर्ट में ये एसएलपी वापस हो जाती है तो विधायक उमेश कुमार को बड़ी राहत मिल सकती है. इस बीच सरकार की ओर से एसएलपी वापस लिए जाने की चर्चाओं पर उमेश कुमार ने अपना पक्ष रखा है.
बता दें कि नैनीताल हाईकोर्ट ने पत्रकार उमेश कुमार पर राजद्रोह (Sedition case on Umesh Kumar) से जुड़े एक मामले में सुनवाई करते हुए उन्हें बरी कर दिया था. जबकि, तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत पर घूस लेने से जुड़े आरोप की सीबीआई जांच कराने के आदेश दिए थे. हाईकोर्ट के आदेश के बाद जहां एक तरफ त्रिवेंद्र सिंह रावत ने निजी रूप से सुप्रीम कोर्ट में आदेश के खिलाफ एसएलपी दायर की थी तो वहीं त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के दौरान ही उत्तराखंड सरकार ने भी इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी लगाई थी.
यह एसएलपी 27 अक्टूबर 2020 को उमेश जे कुमार बनाम उत्तराखंड राज्य मामले में नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई थी. इसमें सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मांग की थी कि उमेश कुमार पर राजद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए. बताया जा रहा है कि अब इसी मामले में राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में इस एसएलपी को वापस लेने का निर्णय लिया है. खबर है कि गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में इस अर्जी पर सुनवाई नहीं हो पाई है. जबकि इसी मामले में पहले से ही त्रिवेंद्र सिंह रावत वर्सेज उमेश कुमार और त्रिवेंद्र सिंह रावत वर्सेस हरेंद्र सिंह रावत की एसएलपी सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.
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खानपुर विधायक उमेश कुमार ने रखा अपना पक्षःखानपुर विधायक उमेश कुमार ने कहा (Umesh Kumar reaction on SLP withdrawn) कि साल 2020 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के नजदीकी शख्स ने उनके खिलाफ राजद्रोह का मुकदमा किया था. जिसके बाद लंबी न्यायिक लड़ाई चली. मामला हाईकोर्ट पहुंचा. जहां से उन्हें जीत हासिल हुई. उनके खिलाफ दर्ज राजद्रोह का एफआईआर भी निरस्त हुई.
उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट ने त्रिवेंद्र सिंह रावत की ओर से लगाए आरोपों का स्वत: संज्ञान लेकर सीबीआई (CBI) जांच के आदेश दिए. जिसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सुप्रीम कोर्ट चले गए. जहां उमेश कुमार के खिलाफ याचिका दायर कर सीबीआई जांच पर यथास्थिति का आदेश पारित कर दिया गया.