चंपावत: महाकाली नदी पर देश का सबसे ऊंचा बांध बनाने की पंचेश्वर बहुउद्देशीय परियोजना प्रस्तावित है. इस परियोजना का प्रस्ताव 1996 में हुआ. भारत-नेपाल महाकाली जल संधि के तहत पंचेश्वर बांध का निर्माण होना है. दरअसल महाकाली नदी भारत और नेपाल दोनों देशों की सीमा पर बहती है. 25 साल पहले भारत नेपाल के बीच महाकाली जल संधि हुई थी. इसके तहत महाकाली नदी पर पंचेश्वर बांध का निर्माण होना है. दरअसल नेपाल में इस संधि को लेकर समर्थन नहीं था. इस कारण बांध निर्माण का काम तेजी से आगे नहीं बढ़ सका.
पंचेश्वर बांध से प्रभावित होंगे 80 हजार से ज्यादा लोग: आखिर में जब 2014 में दोनों देशों की सरकारों ने परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए पंचेश्वर विकास प्राधिकरण बनाया. प्राधिकरण बनाते समय यह तय हुआ था कि विवादित मुद्दों पर डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) बनने के बाद स्थित साफ हो जाएगी. 2010 में एक अंतरराष्ट्रीय संस्था इंस्टीट्यूट फॉर एनवायरनमेंटल साइंसेज (आईईएस) के लिए वैज्ञानिकों (मार्क एवरार्ड और गौरव कटारिया) के अध्ययन के अनुसार, यदि केवल महाकाली घाटी के पारिस्थितिकी तंत्र की सेवाओं का आकलन किया जाए तो इस परियोजना की लागत, लाभ से कई गुना अधिक होगी. इस अध्ययन के अनुसार भारत और नेपाल को मिला कर घाटी के 80 हजार से ज्यादा लोग प्रभावित होंगे. प्रभावितों में मुख्य रूप से किसान, मजदूर, मछुआरे होंगे.
60 हजार करोड़ की है पंचेश्वर बांध परियोजना: 60 हजार करोड़ रुपये की 5040 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाली 315 मीटर ऊंचाई की प्रस्तावित बांध परियोजना में पिछले तीन साल से हलचल नहीं हुई है. इसके बनने से चंपावत, पिथौरागढ़ और अल्मोड़ा जिले का 76 वर्ग किमी हिस्सा डूब क्षेत्र में समा जाएगा. बांध निर्माण की डीपीआर तैयार करने वाली वाप्कोस कंपनी के मुताबिक भारत का 76 वर्ग किमी और नेपाल का 40 वर्ग किमी भूभाग प्रभावित क्षेत्र में होगा.