देहरादून: बेटियों को बोझ समझने वालों को सेमवाल दंपति से सीख लेनी चाहिए. इस परिवार ने सही मायनों में बेटी बढ़ाओ-बेटी पढ़ाओ के स्लोगन को साकार कर दिखाया है. दरअसल, ये परिवार देहरादून के जौनसार से ताल्लुख रखता है. आज इस परिवार का सपना परिवार की बेटी ने साकार कर दिया है. निहारिका सेमवाल आज पुलिस उपाधीक्षक के रूप में अपनी जिम्मेदारी पाने के लिए तैयार हैं. बेटी की सफलता से सेमवाल दंपति का सिर गर्व से ऊंचा हो गया है.
देश में जब बेटियों को बेटों से कुछ कमतर समझने वाली सोच जिंदा है, उस दौर में सेमवाल परिवार पुरानी रूढ़िवादी सोच को ठुकराकर बेटियों के सपनों को पंख दे रहा है. उनकी बेटी निहारिका सेमवाल ने नरेंद्र नगर स्थित पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज से अपना कठिन प्रशिक्षण पूरा कर लिया है. निहारिका जौनसार क्षेत्र की रहने वाली हैं. उन्होंने अपने पहले ही प्रयास में पीसीएस परीक्षा को पास कर न केवल पुलिस ट्रेनिंग कॉलेज में एडमिशन पाया. बल्कि आज उस कठिन प्रशिक्षण को भी पूरा कर पुलिस उपाधीक्षक के रूप में उत्तराखंड पुलिस में तैनाती पाई है.
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निहारिका ने देहरादून के ब्राइटलैंड स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी की. इसके बाद सिविल सर्विस की तैयारी में जुट गई. यह एकाग्रता का ही नतीजा था कि उन्हें पहले प्रयास में ही पीसीएस की परीक्षा को क्रैक कर लिया. निहारिका की चुनौतियां यहीं तक नहीं थी, पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय में साढ़े 12 महीने की कठिन ट्रेनिंग को भी उन्होंने बड़ी ही आसानी से पूरा किया.
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इस दौरान वे महाकुंभ में ड्यूटी करते हुए कोरोना से संक्रमित भी हो गई थी. उन्होंने इसका जरा भी असर अपनी ट्रेनिंग पर नहीं पड़ने दिया. यह निहारिका की हिम्मत ही थी कि देहरादून में उनके पूरे परिवार को कोरोना हो गया. लेकिन उन्होंने ट्रेनिंग छोड़ घर जाने की जगह अपने कठिन परिश्रम को जारी रखा.