देहरादूनःउत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेताओं में गिने जाने वाले हरीश रावत मौजूदा समय में ऐसे राजनीतिक माहौल से गुजर रहे हैं, जिसकी शायद ही उन्होंने कल्पना की होगी. फर्श से अर्श तक पहुंचे हरदा ने अपनी राजनीति और अपने अंदाज में ही मुख्यमंत्री पद तक का सफर तय किया था, लेकिन बीते दिनों हरिद्वार में थाने के बाहर जिस तरह से उन्होंने दो रातें बिताई, उसके बाद सवालिया खड़े होने लगे हैं कि क्या सत्तापक्ष और नौकरशाह हरीश रावत को अब हल्के में लेने लगे हैं?
अब हरीश रावत को हल्के में ले रहे सबःदरअसल, हरिद्वार पंचायत चुनाव के दौरान पुलिस ने कांग्रेसी कार्यकर्ताओं पर अलग-अलग मामलों में मुकदमे दर्ज किए थे. हरिद्वार ग्रामीण से हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत विधायक हैं. लिहाजा, अनुपमा रावत अपने समर्थकों के साथ थाने पहुंच गईं. जिसके बाद पुलिस और अनुपमा के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई. इतना ही नहीं अनुपमा रावत थाने के बाहर धरने पर बैठ गईं. विधायक के थाने के बाहर बैठने के बाद भी पुलिस विभाग ने मामले को बेहद हल्के में लिया और बाद में हरदा की भी इस धरने में एंट्री हो गई.
हरीश रावत से मिलने नहीं आया कोई सत्तापक्ष और खुद की पार्टी का नेताःहरीश रावत ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ थाने के बाहर ही डेरा डाले रखा. कभी वो दिन में वहां पर खाना खाते हुए दिखाई दिए तो कभी रात को आराम से चादर तान कर सोते हुए दिखाई दिए. हरीश रावत को शायद यह अंदाजा नहीं था कि उनके थाने के बाहर बैठने, लेटने, खाने-पीने और सोने के बाद भी कोई उन्हें पूछने नहीं आएगा.
हरीश रावत पूरे दिन और पूरी रात थाने के बाहर (Harish Rawat Strike outSide of Police Station) बैठे रहे. अगले दिन अपने पूरे नित्यक्रम हरीश रावत ने थाने के बाहर ही किए. हरदा पूरे जोश में कसरत करते भी दिए, लेकिन इसके इतर ऐसा पहली बार उत्तराखंड की राजनीति में देखने को मिला, जब कोई वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री थाने के बाहर रात बिता रहे हो और सूबे का कोई भी बड़ा नेता तो छोड़िए अधिकारी तक मौके पर नहीं पहुंचा हो.
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